हिमाचल: पशुपालक व्यापार में चाहते है मुनाफा तो पाले बीटल बकरियां

ख़बरें अभी तक। अगर आप पशुपालन में रूचि रखते हैं तो आपके लिये एक बहुत ही अच्छी खबर है। गाय भैंसों के साथ-साथ अगर आप बकरियां भी पाल रहे हैं तो आपको थोड़े से जागरूक होकर इसमे थोड़ा सा बदलाव करने की जरूरत है जिसके बाद आपको मालामाल होने से कोई नहीं रोक पायेगा। चलिये आपको बताते है कि आखिर इस ख़बर में क्या है।

हिमाचल प्रदेश की सरकार द्वारा किसानों की आर्थिकी को बढ़ाने के उदेश्य से किए गए साकारात्मक प्रयास अब अपना रंग दिखाने लगे है। करीब डेढ़ वर्ष पहले पशुपालन में बकरियों की हाईब्रिड नस्लों को हिमाचल में लाकर किया गया ट्रायल सफल होता दिख रहा है जिससे न केवल पशुपालन विभाग ही खुश है बल्कि किसानों को अपनी आर्थिकी बढ़ाने के लिये भी एक बेहतर विकल्प सामने आ गया है।

डेढ़ वर्ष पूर्व प्रदेश में हरियाणा और पंजाब से बीटल बकरियों को लाकर प्रदेश के किसानों को पालने के लिये दिया गया था इस समय वही बकरियां यहां के वातावरण में पलकर अब अपने यौवन पर पंहुच गई है। बीटल बकरियों का मूल स्थान पाकिस्तान के लाहौर में है जहां इन्हे दूध और व्यवसायिक मांस के लिये बहुतायत में पाला जाता है। भारत में इन बकरियों की फार्मिंग पंजाब के गुरदासपुर और हरियाणा के कैथल क्षेत्र में की जाती है बाहर से बकरी और अंदर से गाय की बनावट होने के कारण यह बकरियां दो से पांच लीटर तक दूध देती है और शरीर की फास्ट ग्रोथ होने के कारण इनका वजन भी 100 किलो तक पंहुच जाता है।

जिससे बाजार में किसानों को अच्छे दाम मिलते हैं। इनकी खाल की क्वालिटी के कारण जूते, जैकेटस व ग्लबस बनाने के लिये लैदर इंडस्ट्री में भी जोरदार मांग है। बीटल बकरियों की एक और खासियत यह भी है कि हर साल यह दो बच्चे पैदा करती हैं और हर वातावरण के अनुसार खुद को ढाल लेती है। शरीफ बकरी होने के साथ खूंटें पर ही इसका पालन पोषण किया जा सकता है। जहां यह बीटल बकरियां अब किसानों के लिये आमदनी का एक नया रास्ता खोल देगी वहीं सरकार की किसानों की दुगनी आय करने वाली मुहिम को भी बल मिलेगा।