किसानो की आय दोगुनी करने का प्लान

खबरें अभी तक।कृ‍षि एवं ग्रामीण रोजगार के क्षेत्र में काम करने वाले तमाम सामाजिक संगठनों ने गुरुवार को पेश होने वाले बजट में किसानों के लिए 2 लाख करोड़ करोड़ रुपये की कर्जमाफी का पैकेज देने की मांग की है. इन संगठनों का कहना है कि पिछले चार साल की मोदी सरकार में किसानों की आय में कुछ खास इजाफा नहीं हो पाया है, किसानों की हालत और खराब ही हुई है, इसलिए ऐसा पैकेज समय की मांग है. गौरतलब है कि इसके पहले यूपीए सरकार में किसानों की कर्जमाफी की घोषणा की गई थी. सामाजिक संगठनों के एक गठबंधन ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बजट में किसानों के बारे में प्रावधानों के लिए तमाम तरह की मांगे रखी थीं, उनमें से एक प्रमुख मांग यह भी है.

गठबंधन ने कहा है कि सरकार बजट में 2 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा करे और इसका करीब 25 फीसदी हिस्सा बंटाई या किराए पर खेती करने वाले किसानों, आदिवासी किसानों, महिला किसानों को मिले, क्योंकि इन वर्गों को संस्थागत लोन नहीं मिल पाते.

इस गठबंधन के एक साझेदार स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने कहा, ‘मोदी सरकार किसानों के लिए कई मोर्चो पर विफल रही है.’ उन्होंने सरकार की कई किसान विरोधी नीतियों का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि सरकार को खेती की पैदावार की न्यूनतम कीमत की गारंटी देनी चाहिए ओर किसानों का कर्ज माफ करना चाहिए.

गठबंधन ने रखी कई मांगें-

गठबंधन द्वारा पेश किए गए एक ‘ग्रीन पेपर’ में कहा गया है कि खेती से जुड़ी चिंताओं के पर्याप्त समाधान के लिए एक किसान आय आयोग की स्थापना की जानी चाहिए. गठबंधन ने कृषि पैदावार के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने, डिजास्टर मिटिगेशन फंड के लिए 25,000 करोड़ रुपये का अनुदान रखने, सिंचाई के लिए अनुदान बढ़ाने और रोजगार गारंटी योजना मनरेगा को प्रभावी तरीके से लागू करने की मांग की है. गठबंधन ने कहा कि भूमिहीन या पट्टाधारक किसानों को लोन देने के मामले में बैंकों का भरोसा बढ़े, इसके लिए क्रेडिट गारंटी फंड की स्थापना की जानी चाहिए.

बजट भाषण एकसाथ बैठकर देखेंगे किसान नेता-

उद्योग चैम्बर्स में उद्योगपतियों के एक साथ बजट प्रसारण देखने की परंपरा की तर्ज पर ही इस गठबंधन ने तय किया है कि एक फरवरी को ग्रेटर नोएडा के एक गांव में देश के सभी हिस्सों से जुटे हुए किसानों के प्रतिनिधि बैठकर वित्त मंत्री का बजट भाषण देखेंगे. इस गठबंधन में किसान स्वराज अलायंस, जय किसान आंदोलन, मनरेगा संघर्ष मोर्चा, पीपल्स एक्शन ऑन एम्प्लॉयमेंट गारंटी, रिथु स्वराज वेदिका और स्वराज इंडिया शामिल हैं.