बच्चों को स्कूल भेजने के लिए शिक्षकों ने अपने खर्च पर पढ़ाने का बेड़ा उठाया

ख़बरें अभी तक। प्रदेश में हर घर में बच्चों को शिक्षा मिले इसका नारा हर सरकारी मंच से नेताओं द्वारा दिया जाता है। वहीं बड़े-बड़े आंकड़े भी पेश किए जाते हैं कि कोई भी बच्चा निरक्षर ना रहे और सरकार उनकी शिक्षा पर इतना करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। लेकिन यह दावा जिला कुल्लू की 1 ग्राम पंचायत में हवा होता नजर आ रहा है। जिला कुल्लू की ग्राम पंचायत जिया के वार्ड 1 में इस दावे की हकीकत पता चलती है।

जब वार्ड में स्कूल जा रहे बच्चों के बारे में जानकारी ली गई तो पता चला कि अकेले ही सिर्फ इस वार्ड में 19 ऐसे बच्चे हैं जो गरीबी के कारण स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। गरीबी के कारण इन बच्चों ने आठवीं के बाद स्कूल जाना बंद कर दिया। इन 19 बच्चों में 11 लड़कियां तो 8 लड़के शामिल है। वहीं सभी बच्चे अल्पसंख्यक समुदाय से संबंध रखते हैं। ऐसे में सरकार व प्रशासन का शिक्षा के अधिकार के तहत दी जाने वाली सुविधाओं के दावे यहां साकार होते नजर नहीं आ रहे हैं।

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के प्रधानाचार्य हेमराज शर्मा व अन्य शिक्षकों ने जब इस वार्ड का दौरा किया तो यह हकीकत सामने आई। वहीं स्कूल के शिक्षकों ने इन सभी बच्चों के अभिभावकों से भी बात की और बच्चों को स्कूल भेजने का आग्रह किया। तब जाकर अब अभिभावक अपने बच्चों को एक बार फिर से स्कूल भेजने के लिए तैयार हुए है।

गौर रहे कि भुंतर स्कूल के शिक्षक आस-पास के गांव में जाकर ऐसे बच्चों की खोज करने में लगे हुए हैं जिन बच्चों ने गरीबी के कारण स्कूल छोड़ दिया था और उनके अभिभावकों ने स्कूल भेजने में असमर्थ हैं। इससे पहले भी भुंतर स्कूल में 4 ऐसे बच्चों को गोद लिया गया है जिनमें 3 लड़कियां शामिल है। उन सभी बच्चों की पढ़ाई लिखाई से लेकर अन्य खर्चों को स्कूल के शिक्षकों द्वारा ही उठाया जा रहा है। ताकि वे बच्चे पढ़ लिख कर आत्मनिर्भर हो सकें।

भुंतर स्कूल के प्रधानाचार्य हेमराज शर्मा ने बताया कि स्कूल के शिक्षक मिलकर साथ लगते गांव में जाकर ऐसे बच्चों की खोज कर रहे हैं। जिनका किन्हीं कारणों से स्कूल छूट गया था। वे अब उन्हें दोबारा से स्कूल में भर्ती कर रहे हैं ताकि बच्चे पढ़ लिख कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें। उन्होंने कहा कि स्कूल में तैनात शिक्षक मिलकर इन सभी बच्चो की पढ़ाई का खर्च वहन करेंगे।