पंजाब, हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश स्कूलों में बच्चों को दी जाए सेक्स एजुकेशन

ख़बरें अभी तक। हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ में छोटी उम्र के बच्चों के साथ दुष्कर्म के मामलों में लगातार हो रही बढौतरी को रोकने के लिए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने स्कूलों में बच्चों को सेक्स एजुकेशन देने के निर्देश दिए है। हाईकोर्ट के जस्टिस राजीव शर्मा व एच एस सिद्द की बैंच ने सख्त रुख अपनाते हुए हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ अथारिटी को आदेश दिए हैं कि वो बच्चों की उम्र के अनुसार सेक्स एजुकेशन का माड्यूल तैयार करे व हर शिक्षण सत्र में बच्चों को उसकी जानकारी दी जाए।

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट की सीनियर एडवोकेट रीटा कोहली ने इन आदेशों के बारें में जानकारी देते हुए बताया कि हाईकोर्ट ने हरियाणा की एक बच्ची के साथ हुए दुराचार और उसके बाद गर्भवती होने के मामले को गंभीरता से लेते हुए आवश्यक हिदायतें जारी की हैं। हाईकोर्ट ने ऐसे मामलों पर सख्त रुख अपनाते हुए हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ अथारिटी को आदेश दिए हैं कि वो बच्चों की उम्र के अनुसार सैक्स एजुकेशन का माड्यूल तैयार करें। जिस पर हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ प्रशासन ने कोर्ट को बताया था कि उन्होने स्कूलों में 2019-20 के लिए सेक्स एजुकेशन का माड्यूल लागु कर दिया हैं। कोर्ट ने कहा कि यह माड्यूल इसी शिक्षण सत्र के लिए नही होना चाहिये बल्कि भविष्य में इसे हर शिक्षण सत्र में लागु करने के लिए काम होना चाहिये।

एडवोकेट रीटा कोहली ने बताया बच्चों के साथ 80 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में दुष्कर्म ज्यादातर उनके रिश्तेदार या करीबी जानकार ही करतें हैं इसलिए बच्चों को अगर सेक्स एजुकेशन दी जाएगी तो ऐसे मामलों में कमी आएगी. नेशनल आकडों को देखा जाए तो 1 जनवरी 2019 से 30 जून 2019 के बीच बच्चों के साथ दुष्कर्म के इन राज्यों में इतने मामलें रिपोर्ट हुए है।

पंजाब में  347 एफआइआर दर्ज की गई है जिनमें 25 केसों का निपटारा हो गया है यानि कि सिर्फ 7 प्रतिशत मामले निपटें हैं. हरियाणा में कुल 636 एफआइआर दर्ज कर 22 केसों में आरोपीयों को सजा दिलवाई है. कुल मामलों में से सिर्फ 3 प्रतिशत मामलों में इंसाफ मिला है.

वहीं हिमाचल की बात करें तो 6 महीनें में 101 मामलें दर्ज किए गए है जिसमें अब तक एक भी मामलें का निपटारा नहीं हुआ है। जम्मू एंड कश्मीर में 50 मामलें रिपोर्ट किए गए है जिसमें से एक भी केस पर न्याय नहीं हुआ है। दिल्ली में 729 केस रिपोर्ट किए गए है जबकि नेशनल आकडों के मुताबिक अब तक 2 मामलों के निपटारा हुआ है।

चंडीगढ़ पुलिस ने 29 केस दर्ज किए. यूटी पुलिस ने कुल 12 केसों में आरोपियों को सजा दिलवाई। यानी 41 प्रतिशत मामलों का निपटारा हो गया है। भारत में बच्चों से दुष्कर्म करने वाले आरोपियों को सबसे जल्द सजा दिलवाकर केस खत्म करने वाली पुलिस में चंडीगढ़ का पहला स्थान है।

चंडीगढ की एस एस पी निलांबरी विजय जगदाले ने बताया कि जब बच्चों की काऊसलिंग करते है तब पता चलता है कि बच्चों को गुड टच बेड टच यानि कि असुरक्षित स्पर्श का ही पता नहीं होता. उन्होने कहा बच्चों के साथ साथ अभिभावकों को सेंसीटाइज़ करना ज़रूरी है। तांकि स्कूल के साथ साथ मां बाप अपने बच्चों को सेक्स एजुकेशन दें। एस एस पी ने बताया कि अभी भी मां बाप अपने बच्चों को ऐसे मामलों पर चुप्पी धारने के लिए कहते हैं। क्योकिं ज्यादातर मामलें ऐसे सामने आते है जिसमें परिवार के करीबी ने बच्चे का साथ दुष्कर्म किया होता है। उन्होने कहा कि चंडीगढ़ में सबसे ज्यादा मामलें इसलिए सुलझे है क्योकिं हम ऐसे मामलों में पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर साथ के साथ जांच शूरू कर देते हैं।

बच्चों खासकर लड़कियों से दुष्कर्म के बढ़ते मामलों पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। इसके लिए हाईकोर्ट ने तीनों राज्य सरकारों को आवश्यक हिदायतें जारी की हैं, ताकि बच्चों का बचपन सुरक्षित रह सके।हाईकोर्ट ने इसके लिए सरकारों को निर्देश दिए हैं कि सेक्स एजुकेशन देने वाले अच्छे शिक्षकों की पहचान की जाए तथा उन्हें सेक्स एजुकेशन देने के तरीके की ट्रेनिंग भी दिलाई जाए। दरअसल अभी तक सेक्स एजुकेशन के अभाव में 15 साल और उससे कम उम्र की लड़कियां यौन शोषण का शिकार होने के बाद गर्भवती अवस्था में न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा रही हैं। जब तक उन्हें न्याय दिलाने की बारी आती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।