‘मामा जी’ के हाथ के लड्डू अब लोगों को कभी नहीं होंगे नसीब

ख़बरें अभी तक। शिमला के मॉल रोड पर मामा जी के नाम से मशहूर बालजीज की मिठाई अब शिमलावासी को नहीं मिल सकेगी। अब लोगों को मामा के हाथ के लड्डू खाने को नसीब नहीं होंगे। मिठाई बनाने वाले अंसार अहमद स्टाफ ही नहीं बल्कि ग्राहकों में भी मामा के नाम से जाने जाते है। आज यानि बुधवार को बालजीज का अंतिम वर्किंग डे होगा और इसके बाद इस रेस्तरां में ताला लग जाएगा। मॉलरोड पर बना बालजीज रेस्तरां 64 साल पुराना है। और सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद 15 जुलाई को बालजीज रेस्तरां के मालिकों को इसे खाली कर संपत्ति के मालिक को सौंपना है।

इसके लिए रेस्तरां के मालिक रेणु बालजीज ने फैसला लिया है कि 10 जुलाई के बाद काम बंद कर इसे खाली कर देंगे। वहीं अब शिमलावासियों को पसंदीदा गुलाब जामुन और लड्डू नहीं मिल पाएंगे, साथ ही यहां काम करने वाले 65 कर्मचारी भी बेरोजगार हो जाएंगे। कई कर्मचारी और कारीगर बालजीज में 40 से 45 वर्ष से कार्य कर रहे हैं। रेस्तरां के बंद होने पर सभी कर्मचारियों को घर बैठने पर मजबूर होना पड़ेगा। क्योंकि अधिकांश कर्मचारी ऐसे हैं जो 50 वर्ष से अधिक हो चुके हैं और इनके लिए कहीं और काम करना भी मुश्किल होगा।

बता दें कि 42 सालों से बालजीज रेस्तरां में सेवाएं दे रहे हरीराम का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा बालजीज रेस्तरां में गुजार दिया है। अब उन्हें न तो कोई रोजगार देगा और न ही वह अब कहीं दूसरी जगह काम करने में सक्षम है। अब तक घर इसी से चलता था लेकिन अब परिवार पालना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने लेबर लॉ के अनुसार भत्ते की मांग संचालक से की है। वर्ष 1981 से बालजीज रेस्तरां में मिठाई बना रहे अंसार अहमद का कहना है कि उनकी मेहनत से कंपनी आज इस मुकाम पर पहुंची है।

कंपनी को कर्मचारियों के सभी भत्ते अदा करने होंगे ताकि उनका घर चल सके या फिर कोई और काम कर सके। प्रबंधन के इस फैसले से नाराज कर्मचारियों ने बालजीज की सीढ़ियों पर गेट मीटिंग की है। कर्मचारी मांग कर रहे है कि प्रबंधन को इसे खाली करना पड़ रहा है। इससे उन्हें नौकरी से जाना होगा, लेकिन वर्षों से इसमें काम किया है। इसलिए उन्हें वाजिव पैसे का भुगतान करना चाहिए। हालांकि प्रबंधन की ओर से ग्रेच्युटी से लेकर अन्य वित्तीय लाभ दिए जा रहे हैं। कर्मचारी लगातार ही अन्य वित्तीय लाभ की मांग कर रहे हैं।

बता दें कि सुप्रीमकोर्ट में बालजीज रेस्तरां को लेकर केस चला था। इसमें संपत्ति मालिक ज्यादा किराये की मांग कर रहे थे। वर्तमान में इस रेस्तरां का 1.5 लाख किराया है। संपत्ति के मालिक 25 लाख तक की मांग कर रहे थे। ऐसे में दोनों के बीच में समझौता नहीं हो सका। इसलिए अब रेस्तरां की संचालिका रेणु बालजी ने 10 जुलाई को अंतिम वर्किंग डे तय किया है। पांच दिन इसे खाली करने के लिए रखे गए हैं। बालजीज रेस्तरां में मिठाई बनाने वाले अंसार अहमद मामा की मिठाई के स्वाद को कोई आज तक टक्कर नहीं दे पाया है और न ही लोगों को इसका कोई तोड़ मिल पाया है।