रोहतक: नाम के चक्कर में उलझा रहा नगर निगम, संगतराम की जगह 40 साल तक नौकरी कर गया मंगतराम

ख़बरें अभी तक। रोहतक नगर निगम में अजीबो गरीब मामला सामने आया है, जब एक युवक अपने भाई की जगह 40 साल तक नौकरी करता रहा और वह भी सिर्फ नाम के चक्कर को लेकर। चालीस साल नौकरी के बाद सेवानिवृत लाभ के चक्कर में इस फर्जीवाडे का खुलासा हुआ है। इसके बाद नगर निगम ने सेवानिवृत लाभ रोका तो मंगतराम ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और कहा कि चालीस साल नौकरी तो की है, अगर गलती है तो विभाग की, उसमें उसका क्या कसूर और अदालत ने भी नगर निगम को सेवानिवृत लाभ देने को कहा। अब प्रशासन ने इस मामले में फर्जीवाडे का केस दर्ज कराने के लिए पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा है।

दरअसल रोहतक निवासी संगतराम ने 1974 में नगर पालिका में अस्थाई रूप से स्वीपर के पद पर 90 रूपये मासिक वेतन पर तैनाती हुई थी और इस दौरान संगतराम ने अपनी जन्म तिथि 12 मई 1956 दर्शाई थी। दो साल की नौकरी के बाद संगतराम ऑल इंडिया रेडियों कार्यालय में 1976 में सेवादार लग गया। अब संगतराम की जगह उसका भाई मंगतराम नौकरी करने लगा। कई बार नाम का चक्कर पडा, लेकिन मंगतराम ने अपने आप को संगतराम बताया और नौकरी चलती रही। 2016 में मंगतराम नगर निगम से रिटायर्ड हुआ तो आडिट के दौरान पूरा भेद खुल गया, लेकिन मंगतराम ने अपनी सेवानिवृत का लाभ नगर निगम से मांगा तो निगम ने लाभ देने से मना कर दिया। निगम के तत्कालीन कमीश्रर आरएस वर्मा के संज्ञान में पूरा मामला आया तो उन्होंने जांच के आदेश दिए। मामला सही पाया गया और सामने आया कि मंगतराम ने ही संगतराम बनकर फर्जीवाडे से नौकरी की है।

अब मामला अदालत में विचाराधीन है और 23 मई को मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने नगर निगम को मंगतराम को सेवानिवृत लाभ देने के आदेश दिए और कहा कि लाभ नहीं मिलता तो कमीश्रर, मेयर सहित तीन अधिकारियों की गाडियां जब्त करने को कहा। अब प्रशासन ने दोनो भाईयों के खिलाफ इस फर्जीवाडे को लेकर पुलिस अधीक्षक को लेकर पत्र लिखकर जांच के आदेश दिए है। साथ ही दोनो के खिलाफ धोखाधडी का मामला दर्ज करने की सिफारिश की है। उपायुक्त आरएस वर्मा का कहना है कि फर्जीवाडे का मामला सामने आया है और इस संबंध में मंगत व संगत के खिलाफ जांच चल रही है।