पांवटा साहिब: दबंगो से अपना आशियाना बचाने के लिए सैनिक परिवार ने प्रशासन से लगाई गुहार

ख़बरें अभी तक। पांवटा साहिब में एक सैनिक का परिवार दबगों से अपना आशियाना बचाने के लिए प्रशासन से फरियाद लगा रहा है, लेकिन स्थानीय प्रशासन दबंगों के अत्याचार से सैनिक परिवार को बचाने में नाकाम साबित हो रहा है। बातामंडी गांव में दबंगों ने 2 महीने पहले सैनिक परिवार का कच्चा मकान तोड़ दिया था। अब उन्हीं दबंगों ने न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए उस हिस्से पर रातों-रात सड़क बना डाली है। जबकि प्रशासन सैनिक के परिवार की रक्षा करने में नाकाम साबित हो रहा है।

पिछले 90 सालों से बातामंडी में नेपाली मूल का सैनिक परिवार कच्चे मकान में गुजरबसर कर रहा था। इनका कच्चा मकान यहाँ एक दबंग परिवार के घर की सड़क के बीच आ रहा था। दबंगों ने जेसीबी मशीनें लाकर इनके कच्चे मकान के दो कमरों को जमींदोज कर दिया यह घटना 2 महीने पहले की है। उस समय भी पुलिस प्रशासन ने ना तो सैनिक परिवार की सुरक्षा दे पाया ना ही उन्हें रहने के लिए कोई उचित स्थान मुहैया करवाय।

वहीं मजबूरन एक कच्चे कमरे में गुजरबसर कर रहे इस सैनिक परिवार को न्यायालय में शरण लेनी पड़ी। न्यायालय ने विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश भी दिए लेकिन विगत रात्रि दबंगों ने इनके मकान के टूटे हुए हिस्से पर ट्रकों से मिटटी डलवा कर वहां पर रातों-रात सड़क का निर्माण कर दिया पीड़ित परिवार स्थानीय प्रशासन के चक्कर काटता रहा लेकिन प्रशासन और पुलिस ने ना तो उन्हें सुरक्षा मुहैया करवाई ना दबंगों की कार्यवाही को रोका।

पीड़ित सैनिक परिवार नेपाली मूल का है और पिछले 90 सालों से बातामंडी में रह रहा है। इस परिवार की पिछली तीन पीढ़ियों से परिवार के पुरुष सेना में रह कर देश की सेवा करते रहे हैं। सैनिक मुनीष कुमार आजकल कश्मीर में तैनात हैं। उनके पिता जीत बहादुर और दादा दिल बहादुर भी भारतीय सेना में रहे।

अब सैनिक की मां और उसकी भाभी न्यायालय के आदेश की कॉपी लेकर प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काट रही है। लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते हैं पुलिस प्रशासन न्याय के आदेशों की अनुपालना करवाने में स्वयं को असमर्थ बता रहा है।

बताया जा रहा है कि सैनिक परिवार का आशियाना उजाड़ कर उस पर सड़क बनाने वाले दबंगों के सिर पर स्थानीय राजनीतिज्ञों का हाथ है। हालांकि पुलिस विभाग इसमें अपनी अलग दलील दे रहा है। विभाग के आला अधिकारियों का कहना है कि न्यायालय ने दोनों पार्टियों को यथास्थिति बनाने के आदेश दिए थे। आदेशों में पीड़ित परिवार को सुरक्षा देने की कोई बात नहीं कही गई है। ऐसे में सवाल यह यह भी उठता है कि सरहदों की रक्षा करने वालों के परिवारों की रक्षा आखिर कौन करेगा ? मामले में पुलिस कार्यवाही की बात तो कह रही लेकिन अब कागजी कार्यवाही का क्या फायदा जब दवंग दोनों बार बेरोकटोक अपनी मनमानी कर चुके हैं। डीएसपी पावटा अब कह रहे हैं कि इस मामले में शिकायत मिली है। मौके पर पुलिस भेज कर कार्यवाही शुरू कर दी गई है।