नमामि गंगे की तर्ज पर होगा सिंधु नदी बेसिन नदियों का पुनरुद्धार

ख़बरें अभी तक: विश्व में आज के समय में जल संकट तेजी से उभर रही बढ़ी समस्या है। हिमाचल प्रदेश में जल संकट से अछूता नहीं है। प्रदेश की नदियों में लगातार जल स्तर घटना जा रहा है और पानी की गुणवत्ता में भी कमी आयी है। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए सिंधु नदी बेसिन की पांच प्रमुख नदियों (सतलुज, ब्यास, चिनाव, रावी और झेलम ) का नमामि गंगे की तर्ज़ पर करने का प्रयास हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान करने जा रहा है। इसी मकसद से हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान द्वारा शिमला में दो दिवसीय लांच वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमें वानिकी गतिविधियों के माध्यम से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने के लिए विशेषज्ञ ने विचार विमर्श किया।

कार्यक्रम में वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और कहा कि हिमालयी क्षेत्रों की नदियां लोगों की आजीविका चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। जिसे बढ़ाने के लिए वनों की अहम भूमिका होती है इसलिए नदियों के किनारों और आसपास के क्षेत्रों में भारी संख्या में पेड़ पौधे लगाने की जरूरत है। गोविंद सिंह ठाकुर ने संस्थान द्वारा सिंधु नदी बेसिन की प्रमुख नदियों का पुनरुद्धार करने के प्रयास की सराहना की और उम्मीद जताई की भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। सिंधु नदी बेसिन की प्रमुख नदियों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने में गंगा नदी की पुनरुद्धार की डीपीआर को आधार माना जायेगा।