जानिए, राजनीति के चाणक्य अमित शाह के जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातें

खबरें अभी तक। राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह बीजेपी पार्टी की रीढ़ कहे जाते है। राजनीति में उनकी नीतिया वाकई उच्च श्रेणी की है। वर्तमान में बीजेपी फिर से केन्द्र में अपनी सरकार बनाने में सक्षम हुई है, इसके पीछे भी अमित शाह का बहुत बड़ा योगदान रहा है। ज्यादातर लोग जानते हैं कि शाह को पीएम मोदी का दाहिना हाथ कहा जाता है। वहीं इस जीत के बाद अमित शाह को मोदी कैबिनेट में शामिल हो गए है। साथ ही उन्होनें गृहमंत्री का पदभार भी संभाल लिया है। पद पर आसीन होते ही शाह सबसे पहले जम्मू कश्मीर जाकर सुरक्षा संबधी चर्चा हेतु गवर्नर सत्यपाल मलिक से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने बहुत से अहम मुद्दों पर वार्ता जारी रखी। आइये आज हम आपको अमित शाह के जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातें बताते है-

अमित शाह का जन्म- शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 में मुंबई में हुआ था। जन्म भले ही मुंबई में हुआ हो लेकिन अमित शाह की परवरिश गुजरात में हुई है। शाह की प्राथमिक शिक्षा मेहसाना के स्कूल से हुई है, तो वहीं उनकी स्नातक अहमदबाद साइंस कॉलेज से बायो केमिस्ट्री में हुई है। शाह ने महज 14 वर्ष की उम्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अंतगर्त तरुण स्वयमसेवक बन गए थे। यह वहीं मंच था जहां से उनमें देश के प्रति कुछ कर गुजरने की प्रेरणा जाग्रत हुई। कॉलेज के समय में इन्होंने बीजेपी के छात्र संगठन अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के लिए भी अपनी सेवा दी। इसके कुछ समय बाद तकरीबन 1984-95 के दौर में उन्होंने बीजेपी ऑफिशियली ज्वॉइन कर ली थी। तब से उनका ये राजनीतिक सफर शुरू हो गया। इस बीच उन्होनें अपने पिताजी के बिजनेस की कमान भी संभाली लेकिन जब देश की सेवा का रंग चढ़ा हो तो किसी ओर काम में कहा मन लगना था।

अमित शाह का परिवार- शाह के परिवार में उनके पिता अनिल चन्द्र शाह और माता कुसुम बेन, पत्नी सोनल शाह और बहन आरती शाह, बेटा जय शाह और उनकी पुत्रवधु ऋषिता है। शाह का जन्म बहुत ही संपन्न वर्ग के परिवार में हुआ था। बावजूद इसके उनके माता-पिता ने उन्हें विलास के जीवन से दूर रखा। जहां एक और उनकी बहन बग्गी में स्कूल जाती थी तो वहीं दूसरी और शाह खुद पैदल स्कूल जाते थे।

अमित शाह का राजनीतिक करियर- पीएम मोदी से अमित शाह की पहली मुलाकात 1982 में हुई थी। ये उस वक्त की बात है जब पीएम मोदी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक थे। ये वो वक्त था जब अमित शाह को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का सेक्रेटरी बनाया गया था। इस दौर में वो धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे। फिर 1987 में में शाह को एक और जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्हें यूथ विंग भारतीय युवा मोर्चा में शामिल किया गया जिसके बाद से वो पार्टी के अंतगर्त अनेकों पद को संभालने लगे। वो पद थे जैसे- राज्य सेक्रेटरी,वाइस प्रेसिडेंट और जनरल सेक्रेटरी इत्यादि। फिर 1991 आते-आते शाह ने गुजरात में राम जन्मभूमि के तहत जनाधार तैयार कर लिया। इस बीच शाह ने साथ-साथ बीजेपी के सीनियर लीडर लालकृष्ण आड़वाणी के लिए चुनावों के चलते केम्पेन भी की। इसके बाद से ही शाह को बीजेपी के चुनावों की जिम्मेदारी सौंप दी गई। इस जिम्मेदारी का निर्वहन शाह ने आड़वाणी के साथ मिलकर सन् 2009 तक लगातार किया।

वहीं 1990 का दौर राजनीतिक तौर पर बड़ा प्रभावी रहा था। ये वो वक्त था जब मोदी और अमित शाह ने राज्यों में बीजेपी के सदस्यों को बढाने का अभियान चलाया। यह वो दशक था जब मोदी बीजेपी के अध्यक्ष बन चुके थे। उस वक्त मोदी अमित शाह को पार्टी में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाने की कोशिश में रहे। तब मोदी ने पटेल को मनाना शुरू किया कि वो गुजरात स्टेट फाईनेंशियल कारपोरेशन का चेयरमेन शाह को बना दें। 1997 में मोदी के प्रयासों के बाद शाह फरवरी 1997 में एमएलए बन गए। वहीं1998 के विधान सभा चुनावों में भी उन्होंने अपनी सीट बनाये रखी।

अमित शाह को राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक पहचान 2014 में मिली थी। जब बीजेपी ने लोकसभा में भारी मतों से विजय प्राप्त हुई। फिर राजनाथ सिंह ने अमित शाह को उतर प्रदेश में पार्टी का अध्यक्ष बनाया। उन्हें पार्टी का जनरल सेक्रेटरी चुना गया। इसी पद पर 2016 में उन्हें दोबारा चुना गया।

यूपी चुनावों में अमित शाह की भूमिका- 2010 का ये वो दौर था जब शाह गिरफ्तारी के चलते उनका राजनीतिक करियर धीमा पड़ गया। राजनीतिक चाणक्य शाह 12 जून 2013 को यूपी केम्पेन के अध्यक्ष चुने गए। जिम्मेदारी को संभालते ही राजनीतिक चाणक्य शाह ने यूपी का गणित समझने के लिए काम शुरू कर दिया। देखिए हम आपको बताते हैं कि फरवरी 2012 में शाह ने अपनी कूटनीति का इस्तेमाल कर समाजवादी पार्टी की यूपी में जीत का कारण समझने की और प्रयास किया। फिर धीरे-धीरे यूपी के चुनाव के समय उम्मीदवारों के चयन पर विशेष गौर किया। इस तरह एक-एक बिंदु पर गौर कर अमित शाह ने एक बेस्ट वीनिंग प्लान बनाया।

लोकसभा चुनाव 2019  को लेकर अमित शाह की स्ट्रेटेजी- इसके अंतगर्त शाह ने एक बिग प्लान बनाया है। इस प्लान को नाम दिया  समर्थन के लिए सम्पर्कइस प्लान का उद्देश्य था कि पीएम मोदी द्वारा पिछले 4 सालों में कराए गए कामों को हाईलाइट करना था। इसमें शाह रोज तकरीबन 50 लोगों से मिलना और उन्हें पीएम मोदी की उपलब्धियों के बारे में जानकारी देना था। ये एक ऐसा प्लान था जिसके जरिए बीजेपी के कार्यकर्ता लाखों लोगों से कम समय में संपर्क साध कर पार्टी को मजबूत करने का काम कर सकते थे। ये शाह कूटनीतियां ही जिस कारण एक बार फिर बीजेपी सरकार केंन्द्र में वापसी कर पायी है। आखिरकार अब अमित शाह, गृहमंत्री अमित शाह बन गए है। लेकिन अब देखना ये होगा की अमित शाह के बाद पार्टी की कमान किसको सौंपी जा सकती है। वैसे तो बीजेपी अध्यक्ष को लेकर जेपी नड्डा का नाम काफी चर्चा में है। लेकिन वहीं इसे लेकर कोई अधिकारिक घोषणा नही की गई है।