हिमाचल प्रदेश : नेशनल हाई-वे अथॉरिटी को हाई कोर्ट की कड़ी फटकार

ख़बरें अभी तक।हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कीरतपुर-मनाली नेशनल हाई-वे के निर्माण कार्य को पूरा न किया जाने के मामले में नेशनल हाई-वे अथॉरिटी की कार्यप्रणाली पर कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी की है। मुख्य न्यायाधीश सूर्या कांत और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने अपने आदेशों में कहा कि इस नेशनल हाई-वे के निर्माण कार्य को शीघ्रता से पूरा करने की जगह नेशनल हाई-वे अथॉरिटी जानबूझकर कर जटिल बना रही है और अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रही है।खंडपीठ ने कड़े शब्दों में कहा कि नेशनल हाई-वे अथॉरिटी के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने का समय आ गया है।

अदालत ने पाया कि नेशनल हाई-वे अथॉरिटी अदालत के पिछले आदेशों की अनुपालना करने में भी नाकाम रही है। हाई कोर्ट ने नेशनल हाई-वे अथॉरिटी को आदेश दिए थे कि कीरतपुर से नेरचौक तक नेशनल हाई-वे के निर्माण को पूर्ण करने के लिए नेशनल हाई-वे अथॉरिटी उत्तरदायी है और उसे आदेश दिए थे कि वह चार सप्ताह के भीतर यह निर्णय ले कि इस निर्माण कार्य को किस तरह से पूरा किया जाए।अदालत ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया था कि यदि नेशनल हाई-वे अथॉरिटी कीरतपुर से नेरचौक, नेरचौक से पंडोह बाईपास और पंडोह बाई-पास से टकोली तक नेशनल हाई-वे के निर्माण को पूरा करने बारे सारणीबद्ध प्रोपोजल अदालत के समक्ष पेश नहीं करती है, तो उस स्थिति में अदालत को मजबूरन नेशनल हाई-वे अथॉरिटी के चेयरमैन और केंद्रीय सड़क मंत्रालय के सचिव को तलब करना पड़ेगा।

नेशनल हाई-वे अथॉरिटी के पारदर्शी रवैये के मद्देनजर गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि नेशनल हाई-वे अथॉरिटी इस मामले को सुलझाने के बजाए जटिल बनाने का कार्य कर रही है व अपनी जिम्मेदारियों से पीछा छुड़ाने की कोशिश कर रही है। नेशनल हाई-वे अथॉरिटी की ओर से पेश हुए वकील की गुहार पर हाई कोर्ट ने मामले की आगामी सुनवाई 24 अप्रैल को निर्धारित की है।