35ए पर सुनवाई से पहले केंद्र सरकार ने अलगावादियों पर कसा शिकंजा

ख़बरें अभी तक। 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने अलगावादियों पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया है। हमले के 8 दिन बाद घाटी में बड़े स्तर पर धरपकड़ अभियान चलाया गया है, जिसके तहत बीती रात कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के प्रमुख अह्दुल हमीद फैयाज समेत 24 सदस्यों को हिरासत में ले लिया गया है। वहीं अधिकारी इसे नियमित कार्रवाई बता रहे हैं, लेकिन माना जा रहा है कि अनुच्छेद 35 ए पर 25 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले यह कदम उठाया गया है, ताकि घाटी में माहौल खराब होने से रोका जा सके. इस कार्रवाई से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि यह अलगाववादी समूह तहरीक-ए-हुर्रियत से संबद्ध संगठन पर पहली बड़ी कार्रवाई है.

वहीं जमात ने एक बयान जारी किया है और हिरासत में लिये जाने की निंदा की और कहा कि, यह कदम इस क्षेत्र में और अनिश्चितता का राह प्रशस्त करने के लिए भली-भांति रची गई साजिश है. संगठन की ओर से दावा किया गया है कि 22 और 23 फरवरी की दरम्यानी रात में पुलिस और अन्य एजेंसियों ने एक व्यापक गिरफ्तारी अभियान चलाया और घाटी में कई घरों पर छापेमारी की. साथ ही संगठन के कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया जिसमें अमीर (प्रमुख) डॉ. अब्दुल हमीद फैयाज और वकील जाहिद अली (प्रवक्ता) शामिल हैं.

जमात के सदस्यों को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, पहलगाम, दिआलगाम, त्राल सहित विभिन्न जगहों से हिरासत में लिया गया है. जमात ने ही सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 35 ए पर एक याचिका की सुनवाई के वक्त छापेमारी को संशयुक्त करार दिया. इसके अलावा पुलिस ने शुक्रवार रात जेकेएलएफ प्रमुख यासिन मलिक को भी हिरासत में लिया. जम्मू कश्मीर में अतिरिक्त बल तैनात किया गया है लेकिन किसी ने भी इस तरह की व्यापक तैनाती के बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

बता दें कि अनुच्छेद 35 ए जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार देता है जिसके तहत दिए गए अधिकार ‘स्थाई निवासियों’ से जुड़े हुए हैं. इसका मतलब है कि राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सुविधाएं दे या नहीं दे. अनुच्छेद 35 ए संविधान की धारा 370 का ही हिस्सा है. इस धारा के कारण दूसरे राज्यों का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में ना तो संपत्ति खरीद सकता है और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बनकर रह सकता है.