मोदी सरकार ने यूपीए की तुलना में 41फीसदी मंहगा खरीदा राफेल, रिपोर्ट का दावा

ख़बरें अभी तक। राफेल सौदा सरकार का पीछा छोड़ने वाला नहीं है। मोदी सरकार को बेशक राफेल मामले में हाई कोर्ट से क्लीनचिट मिल गई है लेकिन विपक्ष इस मामले में लगातार बीजेपी सरकार को घेर रही है। इसी बीच एक रिपोर्ट आई है कि सरकार ने फ्रांस से केवल 36 लड़ाकू विमानों का सौदा किया जबकि 126 विमान का टेंडर था। मगर सरकार ने विमानों की संख्या को कम करके प्रति विमान की कीमत को 41 %  तक बढ़ा दिया। मतलब हर विमान अब 41 फीसदी ज्यादा की कीमत से लिया जा रहा है। यह रिपोर्ट द हिंदू की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि असल सौदे में दसॉल्ट भारत में बनने वाले 13 विमानों के डिजायन और विकास की फीस के तौर पर एक बार 1.4 बिलियन यूरो का मूल्य वसूल रहा था। लेकिन यह राशि बहुत कम विमानों के लिए दी जा रही है तो इसका मतलब है कि प्रति विमान की कीमत जो पहले 11.11 मिलियन यूरो थी अब बढ़कर 36.11 मिलियन यूरो हो गई है।

लेकिन एनडीए द्वारा जिस सौदे पर हस्ताक्षर किए गए हैं उसमें यूपीए की तुलना में प्रति विमान की कीमत 41% तक बढ़ गई है। आधिकारिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार के अंतर्गत सात सदस्यीय टीम में से तीन ने इस सौदे पर उंगली उठाई थी। जिन लोगों ने सौदे पर आपत्ति जताई थी उनमें संयुक्त सचिव और अधिग्रहण प्रबंधक (एयर) राजीव वर्मा, वित्तीय प्रबंधक (एयर) अजित सुले और सलाहकार (कॉस्ट) एमपी सिंह शामिल थे। रक्षामंत्री के नेतृत्व में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने बहुमत को ध्यान में रखते हुए सौदे को मंजूरी दे दी। इसके बाद इस सौदे को केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा समिति ने भी हरी झंडी मिल दे दी। यूपीए सरकार ने 2011 में जब राफेल की बोली खोली, तो लागत बढ़ाने के फॉर्मूले से विमान की लागत 2007 के मुकाबले करीब दो करोड़ यूरो बढ़ गई।