धर्मशाला: हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन

ख़बरें अभी तक। सोमवार को शुरू हुए विधानसभा सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने अपनी मर्यादाओं को कायम रखते हुए सदन की पूरी कार्यवाही में भाग लिया और सरकार के साथ पूरा सहयोग किया। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने स्वां तटीकरण परियोजना चरण-4 की स्वीकृति केंद्र सरकार के जल संसाधन मंत्रालय की सलाहकार समिति द्वारा 118 वीं बैठक में 30 जुलाई 2013 को 922.49 करोड़ रुपये प्रदान किये गए, इस परियोजना के निवेश की मंजूरी भारत सरकार के योजना आयोग द्वारा 20 सितंबर 2013 को प्रदान की गई।

इसका जबाव देते हुए आईपीएच मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर ने कहा कि इस परियोजना के लिए कुल 922.49 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई परियोजना के अंतर्गत आने वाली मुख्य स्वां नदी और इसकी 22 सहायक खड्डों के तटीकरण पर अक्टूबर 2018 तक 446.06 करोड़ रुपये व्यय किये जा चुके हैं। इस परियोजना के लिये अक्टूबर 2018 तक कुल 446.061 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं जिसमें हिमाचल सरकार द्वारा 169.210 करोड़ रुपये और केंद्र सरकार द्वारा 276.851 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की जा चुकी है।

इसी बीच मुकेश अग्निहोत्री और विधायक राकेश पठानिया के बीच तीखी नोक झोंक हुई। इसी बीच मुख्यमंत्री ने बीच-बचाव करते हुए कहा कि लम्बे अरसे के बाद कांग्रेस को खुशी मिल रही है वो उसे पालना सीखे लेकिन अपने सदन में सियासत करने की बजाय प्रश्नकाल के दौरान उठाये जा रहे सवाल जवाबों में शालीनता के साथ सहयोग दें। इसके बाद नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया ने तारांकित सवाल संख्या 871 के तहत उठाया सवाल कि पिछले 5 सालों में प्रदेश में कितनी बसें खरीदी गई और खरीदने के लिए कितना ऋण लिया गया,ऋण का कितना ब्याज बनता है, और ये बसें कितने किलोमीटर की एवरेज दे रही है, गुणवत्ता पर कितनी खरी उतर रही है।

इसका जबाव देते हुए परिवहन मंत्री परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर कहा पिछले 5 सालों में 2 हजार 101 बसें खरीदी गई हैं जिसमें 1295 बसें एचआरटीसी द्वारा और 806 बसें एचपीसीटी, वीएसएम और डीए द्वारा खरीदी गई हैं। इन बसों को खरीदने के लिए 260 करोड़ 50 लाख का ऋण लिया गया है। बसों की खरीद फरोख्त को लेकर विधायक पठानिया ने अपनी सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की मांग उठाई जिस पर मंत्री ने विधायक को 2 महीनों के भीतर श्वेत पत्र जारी करने का आस्वाशन दिया। वहीं इस दौरान परिवहन मंत्री ने पूर्व की सरकार पर बसों की खरीददारी की मनसा पर कई सवाल खड़े किए।