यहां खुला था शिव का तीसरा नेत्र, प्रकट हुई था माता नैना

ख़बरें अभी तक। हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थों में से एक मणिकर्ण धार्मिक एकता का प्रतीक माना जाता है। यहां पर पार्वती नाम की एक नदी बहती है। जिसके एक ओर प्राचीन शिव मंदिर है तो दूसरी ओर गुरु नानक देव का ऐतहासिक गुरुद्वारा। नदी से जुड़े होने के कारण दोनों ही धार्मिक स्थलों का वातावरण बहुत ही सुंदर दिखाई पड़ता है। मणिकर्ण के बारे में कहा जाता है इस स्थान पर क्रोधित हुए भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोला था। पुरातन समय मे पार्वती नदी में क्रीड़ा करते हुए एक बार माता पार्वती के कान के आभूषण की मणि पानी में गिर गई और पालात लोक में चली गई। ऐसा होने पर भगवान शिव ने अपने गणों को मणि ढूंढने को कहा। बहुत ढूंढने पर भी शिव-गणों को मणि नहीं मिली।

इस बात से क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोल दिया। तीसरा नेत्र खुलते ही उनके नेत्रों से नैना देवी प्रकट हुईं। इसलिए, यह जगह नैना देवी की जन्म भूमि मानी जाती है। नैना देवी ने पाताल में जाकर शेषनाग से मणि लौटाने को कहा तो शेषनाग ने भगवान शिव को वह मणि भेंट कर दी। इस नदी में आज भी मौजूद हैं कई मणियां मान्यताओं के अनुसार, शेषनाग ने देवी पार्वती के मणि के अलावा भी कई मणियां भगवान शिव को प्रसन्न करने के उद्देश्य से उन्हें भेंट की थी। तब भगवान शिव ने देवी पार्वती को अपनी मणि पहचान कर उसे धारण करने को कहा था, बाकि सभी मणियों को पत्थर के रूप में बना कर यहां की नदी में डाल दिया था। कहा जाता है शेषनाग की भेजी गई मणियां आज भी पत्थर के रूप में यहां नदी में मौजूद हैं।

यहां पर शिव मंदिर के पास ही एक गर्म पानी का स्रोत भी है। यह गर्म पानी शीतल जल वाली पार्वती नदी से कुछ दूरी पर ही है। इस में गर्म जल कहां से आता है, यह बात आज तक रहस्य बनी हुई है। इस गर्म पानी के स्रोत में गुरुद्वारे का प्रसाद बनाने के लिए चावल पकाए जाते हैं। चावल को बर्तन में रख कर इस यहां पर रख दिया जाता है तो कुछ ही मिनट में पक जाते हैं। यहां का पानी इतना गर्म होता है कि कोई भी इसमें हाथ तक नहीं डाल सकता। इस स्रोत के जल को पार्वती नदी के पानी में मिला कर नहाने के लायक बनाया जाता है। वही,  पार्वती नदी के एक ओर शिव मंदिर है और दूसरी ओर गुरुद्वारा। यहां का यह सुंदर दृश्य देखने लायक है। यहां पर आने वाले सभी भक्त चाहे वह हिंदू हो या सिख दोनों ही जगह से दर्शनों का लाभ लेते हैं।