जुलाना: धान की पराली से युवक कर रहे अच्छी कमाई

ख़बरें अभी तक। एक ओर तो धान की पराली प्रशासन और सरकार के गले की फांस बनी हुई हैं वहीं ग्रामीण युवाओं पराली को रोजगार बनाकर लाखों रुपये कमा रहे हैं। पराली को जलाने की नौबत नहीं रही और राजस्थान में पशुओं को चारा भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है। किसानों के खेतों से पराली को 500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से खरीदा जाता है और पराली को एकत्रित कर लिया जाता है। क्योंकि पराली को एकत्रित करने का स्थान आसानी से मिल गया। ग्रामीणों के अनुसार पराली को एकत्रित करने में किसान को 500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से देकर एक स्थान पर एकत्रित कर लेते हैं और फिर कटाई के लिए मशीन लगाकर पराली को बारिक काटा जाता है।

ट्रालियों में भरकर राजस्थान, यूपी और दिल्ली की मंडियों में गत्ता बनाने के लिए भेजा जाता है। युवाओं ने अच्छी पहल की है। पराली को जलाने की बजाए रोजगार के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। ना तो किसानों को पराली जलाने की नौबत आएगी और साथ ही युवाओं को इस से रोजगार भी मिल गया है। इससे प्रदूषण की समस्या भी मिट जाएगी। अन्य किसानों को भी पराली को ना जलाकर एकत्रित करके इसे काटकर पशुओं के लिए चारे के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है। युवाओं द्वारा उठाया गया ये कदम काबिलेतारिफ है।