हिमाचल प्रदेश: बीपीएल बना सहारा, तो सरकारी व्यवस्था हारी

ख़बरें अभी तक। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला खंड निरमंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत नोर के शलाट गांव में एक गरीब बकरी पालक पर मुसीबतों का कहर टूट पड़ा। बीपीएल परिवार से संबंध रखने वाले मोती राम ने अपनी भेड़ बकरियों व अपनी आय में इजाफा करने व नस्ल में सुधार करने के उद्देश्य से विभाग द्वारा बीपीएल स्कीम के तहत भेड़ पालक को 11 बकरीयां मिली। जैसे ही वे बकरियां घर पहुंचाई गई तो दूसरी सुबह से ही उनकी बकरियों के मरने का सिलसिला भी जारी हो गया।

बकरी पालक मोतीराम का कहना है कि जो स्कीम के तहत उन्हें बकरियां दी थी, वे बहुत ही सुस्त थी और स्वास्थ्य से बहुत खराब व ग्रस्त थी। जबकि बकरी पालक के पास 65-67 बकरियां खुद की थी। जिनमें भी संक्रमण फैल गया है। बकरी पालक विभाग द्वारा एक अच्छी नस्ल के चक्कर में उन्हें लाने की गलती कर बैठा। जिससे सरकार व विभाग द्वारा दी गई बकरियों में एक ऐसी बीमारी (वायरस )फैला। जिससे उस गरीब बकरी पालक मोती राम के दिन के 2 से 3 बकरियां मरती जा रही है।

अब मरने की संख्या 21 पहुंच चुकी है। अभी तक बकरी के मरने का सिलसिला जारी है। जबकि पशुपालन विभाग के सभी वेटनरी डॉक्टर लोगों को वहां पर हर दिन उन बकरीयों के इलाज के लिए बुलाया जाता है। इसके बावजूद भी स्तिथि काबू में नहीं है। पंचायत के प्रधान अशोक ठाकुर उपप्रधान अमर सिंह जोशी ने भी मौके पर पहुंच कर हर दिन उन बकरियों के देखरेख में आते हैं, और हैरान स्थिति को देख कर बहुत सारा दुख व्यक्त करते है। परिवार वालों को हौसला देते रहते हैं।

वार्ड सदस्या सुषमा देवी का कहना है कि प्रार्थी का ऐसा नुकसान असहनीय है। उन्होंनें सरकार से इसकी भरपाई की मांग उठाई है। उन्होंनें पशु व स्वास्थ्य महकमे से मांग उठाई है कि बकरियों में लगी बीमारी की जांच करें ताकि अन्य पशु धन या मनुष्यों तक ये बीमारी न पहुंचे। मोती राम का कहना है कि उन्होंनें पूरी जिंदगी की मेहनत इन्हीं बकरियों पर लगाई है। अब 21 से 22 बकरियां मर चुकी है,जिससे वे बहुत दुखी है। उन्होंने सरकार से नुकसान का आकलन कर मुआवजे की मांग उठाई है।