खिड़की पर पेपर चिपकाकर अपने ठीक होने का संकेत देती हैं, ऐसी हैं कौशल्या

ख़बरें अभी तक। 87 साल की कौशल्या देवी देश की सबसे अकेली बुजुर्ग महिला हो सकती हैं। हर दिन शाम ढलते ही वह एक खाली कागज को कड़ी मेहनत से फोल्ड करके अपने घर की जर्जर खिड़की पर चिपकाती हैं। सुबह होते ही सबसे पहले वह इस शीट को खिड़की से हटाती हैं और तब जाकर उनके पड़ोसी राहत की सांस लेते हैं- सब कुछ ठीक है। अब वह अपने अगले दिन की शुरुआत कर चुकी हैं।

कौशल्या हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के शाहपुर विधानसभा से करीब 20 किलोमीटर दूर जलाडी गांव में रहती हैं। जहां जिंदगी इतनी आसान नहीं है। यह गांव हिमालय के निचली पहाड़ियों पर600 मीटर की ऊंचाई स्थित है। कौशल्या को यहां दिन बिताने में दोगुनी मुश्किल होती है। एक तो वह विधवा हैं और दूसरा वह अकेले यहां रहती हैं। इसलिए खिड़की पर कागज चिपकाकर अपने जिंदा रहने का संकेत देती हैं।

यह बेहद मार्मिक अभ्यास है जो पूरे गांव को उदास भी करता है लेकिन इसी के साथ वह सावधान भी रहते हैं कि उनके साथ सब कुछ ठीक है या नहीं। कौशल्या के पड़ोस में रहने वाले इंश्योरेंस एजेंट दर्शन सिंह कहते हैं, ‘जब वह सुबह उठकर खिड़की से कागज हटाती हैं तो हमें पता लगता है कि वह ठीक हैं।’ दर्शन का परिवार उन 6 पड़ोसियों में से है जो कौशल्या के घर और खिड़की पर चिपके कागज पर नजर बनाए रखते हैं।’ वह आगे कहते हैं, ‘जब कौशल्या गंभीर रूप से बीमार पड़ जाती हैं तब हम चंबा से उनकी बेटी को बुला लाते हैं।’

पति की मौत, बेटा लापता

8 साल पहले कौशल्या के पति जो पेशे से दैनिक मजदूर थे, उनकी मौत हो गई थी। उनका 47 साल का बेटा बुधी सिंह इसके 3 साल बाद घर छोड़कर चला गया था जो अब तक नहीं लौटा। कौशल्या अपने इस टूटे-फूटे मकान में ज्यादातर समय अकेले बिताती हैं। उम्र के साथ-साथ शरीर कमजोर होने लगता है और जुबान भी लड़खड़ाने लगती है। वह लड़खड़ाती आवाज में कहती हैं, ‘मैं अपने बेटे के लिए सबसे ज्यादा चिंतित हूं। मैं उसके बारे में आस-पास के लोगों से पूछती रहती हूं।’

जिस दिन कौशल्या बहुत बीमार हो गईं…

उनके द्वारा खिड़की पर ए-4 साइज के पेपर को मोड़कर खिड़की में चिपकाकर अपने ठीक होने के संकेत देने का अभ्यास उस दिन से शुरू हुआ जिस दिन कौशल्या काफी बीमार पड़ गई थीं। वह अपने करीबी पड़ोसी तक पहुंचने में भी असमर्थ थीं। उस दिन मौके से एक पड़ोसी उनके पास आया और उनकी स्थिति के बारे में जायजा लिया।

आर्थिक मदद की उम्मीद

इस असहाय बुजुर्ग महिला के बारे में इसी साल अगस्त महीने में फेसबुक पर लिखने वाले सामाजिक कार्यकर्ता संजय शर्मा ने बताया, ‘कौशल्या का घर बुरी स्थिति में है। उनके पड़ोसी ही उनके स्थायी रूप से मददगार हैं। मैं उम्मीद कर रहा हूं कि उन पर जिन लोगों ने ध्यान देना शुरू किया है उससे उन्हें कुछ आर्थिक मदद भी मिल सके।’

कौशल्या के जीवन पर बनेगी डॉक्युमेंट्री

ऐसा संभव भी हो सकता है। दरअसल मुंबई निवासी फिल्ममेकर विवेक मोहन उनकी जिंदगी पर एक शॉर्ट फिल्म बनाने की सोच रहे हैं। वह बताते हैं, ‘फिल्म का नाम होगा-बस स्टॉप। मुझे जो चीज आश्चर्यचकित करती है वह है उनका सम्मानजनक मृत्यु के लिए इच्छा रखना। वह दुनिया से बिल्कुल एकाकी जीवन बिताती हैं, एक छोटे से गांव में रहती हैं लेकिन हर सुबह खिड़की पर पेपर चिपकाकर अपने ठीक होने का संकेत देती हैं।’