वट्सऐप की ओर से मिले फेक न्यूज से बचने के निर्देश

खबरें अभी तक। वट्सऐप की ओर से मिले देशवासियों को फेक न्यूज से बचने के निर्देश। वट्सऐप ने भारत में सोशल मीडिया पर बढ़ते फेक न्यूज के प्रसार पर अंकुश और भारतीयों की शिकायतों, समस्याओं के समाधान के लिए एक ग्रीवन्स ऑफिसर (शिकायत निवारण अधि‍कारी) की नियुक्ति कर दी है. तो अब वाॅट्सऐप इस्तेमाल करने वालों की कोई भी  समस्या हो तो वह सीधे ग्रीवन्स ऑफिसर कोमल लाहिड़ी तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं.

कैसे करें शिकायत, पढिए दिशा निर्देश……

भारत में अपनी सुरक्षा और निजता को और अपडेट करते हुए वाॅट्सऐप ने बताया है कि यदि कोई भारतीय ग्रीवन्स ऑफिसर तक अपनी बात पहुंचाना चाहता है तो वह वाॅट्सऐप के सेटिंग में जाकर ‘हेल्प’ बटन पर क्लिक कर सकता है. इस पर क्लिक करते ही आपको ‘कॉन्टैक्ट अस’ का विकल्प मिलेगा.

वाॅट्सऐप के अनुसार, कोमल लाहिड़ी अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहेंगी. अगर कोई डाक से संपर्क करना चाहता है तो वह कंपनी के कैलिफोर्निया में मेनलो पार्क स्थित ऑफिस में लेटर आदि के द्वारा भी संपर्क कर सकता है.

गौरतलब है कि कई अन्य अमेरिकी कंपनियों ने भी भारत से बाहर अपने ग्रीवन्स अफसर तैनात कर रखे हैं. कोमल लाहिड़ी के लिंक्डइन प्रोफाइल से पता चलता है कि वह मार्च, 2018 से ही वाट्सऐप इंक के ग्लोबल कस्टमर ऑपरेशंस में सीनियर डायरेक्टर के रूप में काम कर रही हैं।

इसके पहले उन्होंने अगस्त, 2014 से फेसबुक में प्रोडक्ट प्लानिंग ऐंड ऑपरेशंस ऑफ शेयर्ड सर्विसेज में डायरेक्टर के पद पर ज्वाइन किया था. बाद में वह फेसबुक में कम्युनिटी ऑपरेशंस की सीनियर डायरेक्टर और कम्युनिटी सपोर्ट के हेड के रूप में काम कर रही थीं. वह इसके पहले पेपाल कंपनी में भी काम कर चुकी हैं. मूलत: महाराष्ट्र की कोमल ने पुणे यूनिवर्सिटी से बीकॉम और आईएमडीआर, पुणे से पीजी डिप्लोमा किया है।

गौरतलब है कि वाॅट्सऐप के सीईओ क्रिस डैनियल्स ने पिछले महीने आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद से मुलाकात की थी. रविशंकर प्रसाद ने उनसे कहा था कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर फेक मैसेज के मूल स्रोत का पता लगाने का कोई रास्ता निकालें और ऐसे मामलों से निपटने के लिए किसी ग्रीवन्स ऑफिसर की नियुक्ति करें. सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसे अफसर की नियुक्ति न होने को लेकर सरकार से चार हफ्तों के भीतर जवाब देने को कहा था।

देश में हिंदु -मुस्लिम और लगातार हिंसा की फेक खबरों  से माहौल काफी बिगड़ा है। इन निर्देशों से थोड़ी राहत महसूस की जा सकती है  और उम्मीद भी की जा सकती है की अब फेक न्यूज का नकारात्मक असर नहीं होगा।