कोर्ट ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में दोषी को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

खबरें अभी तक। गुमला के अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम सह विशेष न्यायाधीश लोलार्क दुबे की अदालत ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में फैसला सुनाते हुए अभियुक्त धर्मेश्वर उरांव को दोषी मानते हुए सश्रम आजीवन कारावास एवं 20 हजार रूपए का अर्थदंड की सजा सुनाई है। वहीं पीड़िता को पोक्सो एक्ट के तहत 3 लाख रूपए की आर्थिक मदद की अनुशंसा सचिव विधिक सेवा प्राधिकार गुमला से पुनर्वास के लिए किया है।

यह मामला रायडीह थाना क्षेत्र की है जहां 21 अप्रैल 2013 को मवेशी चराने गई 14 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ जंगल में दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया गया। आरोपी दुष्कर्म करने के बाद धमकी देकर पीड़िता को एक घर में ले गया। जहां अभियुक्त के द्वारा रात्रि में दुष्कर्म किया गया। दूसरे दिन लड़की ग्लास धोने के लिए पोखरा जाने के बहाने भाग निकली। इसके बाद पीड़िता भाग कर घर पहुंची और अपने परिजनों को सूचना दी। इस संबंध में रायडीह थाना में कांड संख्या 23/13 दिनांक 22 अप्रैल 2013 भारतीय दंड संहिता आईपीसी की धारा 376 एवं 346 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

अभियोजन की ओर से लोक अभियोजक मिनी लकड़ा ने पैरवी की वहीं बचाव पक्ष की ओर से प्रसिद्ध अधिवक्ता अखौरी शिशिर कुमार ने पैरवी की। इस फैसले पर लोक अभियोजक मिनी लकड़ा ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मेरी पैरवी के कारण पीड़ितों को आज न्याय मिला मुझे इस बात पर खुशी है।

वहीं बचाव पक्ष के वकील अखौरी शिशिर कुमार ने कहा कि फैसला के विरुद्ध हो उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खट खटाएंगे। वहीं दोषी धर्मेश्वर उरांव ने कहा कि मुझे फंसाया गया है। लड़की का किसी और से प्रेम प्रसंग था। मैं निर्दोष हूं।

गुमला जिले सहित देश के विभिन्न भागों में दुष्कर्म जैसी अपराध लगातार बढ़ रही है। न्यायालय के द्वारा फैसला आने के बाद समाज के बुद्धिजीवियों का कहना है कि इस तरह के फैसले के बाद घटना में कमी आएगी। इस फैसले के बाद दुष्कर्म के अभियुक्तों में भय है।