नरकीय जीवन जी रहे मानसिक विक्षिप्त, पुलिस अधीक्षक टाल रहे जिम्मेदारी

खबरें अभी तक। हिमाचल प्रदेश में उच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद सिरमौर जिले में  मांसिक विक्षिप्त नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। जिले के पांवटा साहिब में सबसे अधिक पांच मांसिक विक्षिप्त घूमते देखे जा सकते हैं। जबकि माजरा, धौलाकुंआ, बेहराल और सतौन आदि क्षेत्रों में भी मांसिक विक्षिप्त घूमते हैं। खाना कपड़े और सिर पर छत न होने की वजह से यह मांसिक विक्षिप्त कूड़े दानों में पड़ी सड़ी गली चीजें उठा कर खाते हैं और बरसाती मौसम में कीचड़ से फटे रेन शैल्टरों में जीवन विताने को मजबूर हैं।

जिले में यह हालात तब हैं जब प्रदेश उच्च न्यायालय ने जिले में मानसिक विक्षिप्त को अस्पतालों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी पुलिस अधीक्षकों को दी है। उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश हैं कि यदि किसी जिले में कोई भी मानसिक विक्षिप्त घूमता पाया जाता है तो जिला पुलिस अधीक्षक के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। बावजूद इसके सिरमौर पुलिस विभाग संवेदनहीन बना हुआ है। पांवटा साहिब की सडकों पर दो महिलाओं सहित पांच विक्षिप्तों को घूमते देखा जा सकता है। जबकि सतौन में दो, धौलाकुआं व माजरा में भी दो विक्षिप्त रह रहे हैं। इसके अलावा जिले के दूरदराज क्षेत्रों में मानसिक रूप से विक्षिप्त घूमते देखे जा सकते हैं।

शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में इनके हालात यह है कि बरसाती कीचड से फटे रेन शेल्टरों या खंडरों में इनकी रातें गुजरती हैं। यदा कदा कोई कुछ खाने को दे तो गनीमत नहीं तो कूड़े में पड़े सड़े गली दूशित चीजें या जानवरों को फेंका हुआ खाना इनकी मजबूरी होती है। तन पर कपड़े या तो है नहीं नहीं। यदि कुछ है तो सिर्फ कुछ चिथड़े। वो भी इतना मैला कुचैल और दुर्गंध युक्त कि कोई पास फटकने से भी कराए। विक्षिप्तों के इन हालात के लिए जिला पुलिस कप्तान और पुलिस विभाग जिम्मेदार है।

प्रदेश उच्च न्यायालय ने मानसिक रूप से विक्षिप्तों के इलाज और पुनर्वास की जिम्मेदारी जिला पुलिस अधीक्षकों को सोंपी है। इस संबन्ध में शिमला निवासी अजय श्रीवास्तव ने प्रदेश उच्च न्यायालय  में एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने जिला पुलिस अधीक्षकों को आदेश जारी किए हैं कि मानसिक रूप से विक्षिप्तों के इलाज और पनर्वास की व्यवस्था करे। लेकिन सिरमौर जिले में हालात को देखकर नहीं लगता कि यहां पुलिस मुखिया को कोर्ट के आदेशों की परवाह है। ऐसे में उपायुक्त के समक्ष यह मामला उठाया गया तो उन्होंने भी माना कि मामला बेहद गंभीर है। उपायुक्त ने कहा कि इस संबन्ध मंे पुलिस अधीक्षक से बात की जाएगी।