NH-72 उच्च मार्ग में ओवरलोडिंग का कहर जारी

खबरें अभी तक। नियमों को ताक पर रख उनकी धज्जियां उड़ाने में निजि बसों के चालक व परिचालक कोई कसर नही छोड़ रहे। शिलाई क्षेत्र के तहत आने वाले सड़को के सभी रूटों पर निजि बसों ने मनमानी करने में कोई कसर नही छोड़ी है। बसों में ओवरलोडिंग वह तेज रफ्तार से डर लगता है ओर बसों में उँची आवाज ने लाऊड स्पीकरों पर गाने बजाए जा रहे है। जिसके कारण चालक बसों का संतुलन खो बैठते है ओर किसी अनचाही घटना को अंजाम दिया जाता है। सरकार के नियमों को बसों में दूर दूर तक कही नही दिखाई देते। परिचालक तो स्वयं बिना प्रशिक्षण के बसों का स्टेरिंग पकड़ने को तैयार हो रहे है

जिला सिरमौर के दूरदराज पहाड़ी क्षेत्र शिलाई में बीते माह अनेकों जानलेवा घटनाएं दुर्घटनाएं होने के बाद भी यहां के निजी वाहन चालक ओवरलोडिंग से बाज नहीं आ रहे हैं। बीते करीब 6 माह में यहां दर्जनों ऐसी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें अनेको लोग अपनी जान गवा चुके हैं तथा दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल होकर अपाहिज हो चुके है। परंतु यहां की तंग सड़कों पर तेज गति से वाहन दौड़ाने वाले नौसिखिया चालक अभी तक इन वारदातों से कोई सबक नहीं ले रहे हैं।

आए दिन यहां ओवरलोडिंग के कारण अनेकों दुर्घटनाएं हो रही है परंतु पुलिस और प्रशासन ने अभी तक गंभीरता से इस ओर कोई कदम नहीं उठाया है। प्रत्येक हादसे के बाद प्रशासन द्वारा ओवरलोडिंग वह नौसिखिए चालकों पर शिकंजा कसने जाने के खोखले वादे किए जाते हैं परंतु जिले के इस दुर्गम क्षेत्र की सुविधाओं  व दिक्कतों को हल करने के लिए आज तक अधिकारियों सहित किसी भी नेता ने गंभीरता से कोई कदम उठाने की जहमत नहीं उठाई है।

क्षेत्र की वन-वे सड़कों पर ऐसे ही नजारे देखने को मिले  यातायात की सुविधा प्रदान करने वाली निजी बसें भी चंद पैसों के लालच में यातायात नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाते हुए बसों के अंदर व छतों पर ठूस-ठूस कर यात्रियों को भर रहे हैं। वर्षा के दिनों में खस्ताहाल हो चुकी इन सड़कों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है, ऐसे में  ओवरलोडिड तेज रफ्तार वाहन प्रति मिनट किसी बड़े हादसे को न्योता दे रहे हैं।

अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्षेत्र में सीमित यातायात साधन होने के कारण क्या इस तरह से ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते हुए ओवरलोडिंग करना सही है। आज तक सरकारी विभागों ने कभी इस दिशा में कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए हैं। प्रतिमाह दर्जनों जानलेवा हादसों के बाद भी अधिकारी इस ओर गंभीरता से ध्यान क्यों नहीं दे रहे हैं। वर्षा ऋतु के इस समय में पहाड़ धंसने व भूसंख्लन से पूर्णतः मिट्टी से चिकनी हो चुकी सड़कों पर यदि पुनः कोई बड़ा हादसा होता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा।

सरेआम नियमों की धज्जियां उड़ती देख मौन प्रशासन व निजी वाहन चालक शायद किसी बहुत बड़े हादसे के इंतजार में हैं। उधर DSP प्रमोद चौहान ने जब हमारी टीम ने बातचीत की तो उनका कहना है कि तुरंत इन बसों के परिचालक व चालक व मालिकों पर शिकंजा कसा जाएगा वा निजी बसों के चालान भी काटे जाएंगे