राम रहीम को सजा के बाद भड़की हिंसा को पूरा हुआ एक साल, आज भी ताज़ा हैं जख्म

खबरें अभी तक। साध्वी यौन शोषण मामले में राम रहीम को दोषी करार दिए जाने के बाद पंचकूला में फैली हिंसा को आज एक साल पूरा हो गया है। लेकिन पंचकूला शहर के जख्म आज भी ताजे हैं। पंचकूला में हुई हिंसा से लोग इस कदर दहशत में है कि साल बीत जाने के बाद भी वह उस दिन के खौफनाक मंजर को भुला नहीं पा रहे हैं। पिछले साल 25 अगस्त 2017 को सिरसा के डेरा प्रमुख राम रहीम को हरियाणा की सीबीआई की विशेष अदालत ने 2 युवतियों से यौन शोषण के आरोपों में 10-10 साल की सजा सुनाई थी। उस दौरान पंचकूला में धारा 144 लगी होने के बाद भी जिस तरह से सरकार ने राम रहीम के समर्थकों को वहां एकत्र होने दिया था उसकी दोषी सीधे तौर पर सरकार को ही माना जा रहा है।

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डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को रेप के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद पंचकूला में जमकर हिंसा और अगजनी हुई थी। 25 अगस्त को हुई इस हिंसा में तकरीबन 40 लोगों ने जान गंवाई थी। पिछले एक साल में हिंसा मामले में पुलिस ने कई आरोपियों को हिम्मत से पकड़ा और चलान किया जो अभी कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन अभी मुख्य लोग पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पुलिस ने लाचारी के बावजूद उपद्रवियों को न खदेड़ा होता तो पंचकूला तहस नहस हो जाता।

25 अगस्त का वो खौफनाक दिन की पूरी कहानी

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25 अगस्त 2017 के दिन राम रहीम अपने सैकड़ों गाडिय़ों के काफिले के साथ सिरसा से पंचकूला के लिए रवाना होता है। बाबा ने सफेद कुर्ता पहन रखा है, हमेशा की तरफ बाबा के साथ हनीप्रीत भी थी। वैसे बाबा देखने में ठीक लग रहा था लेकिन एक दिन पहले बाबा ने पीठ में दर्द होने को लेकर ट्वीट किया था राम रहीम शायद कोर्ट समक्ष पेश न हो। राम रहीम पंचकूला पहुंचता हैं और कोर्ट परिसर दाखिल होता हैं। यहां पूरे शहर को डेरा समर्थकों ने हाईजैक करके रखा हुआ था। दोपहर करीब पौने तीन बजे का वक्त था, पंचकूला के बिस्टा विला चौक पर राम रहीम के हजारों समर्थक मौजूद थे साथ ही भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात थे। पल पल कवरेज करने के लिए देशभर के पत्रकारों का जमावड़ा लगा हुआ था।

 

इसी बीच इस चौक से करीब 500 मीटर की दूरी पर हैफेड चौक के पास बैठे गुरमीत राम रहीम के हजारों समर्थकों का शोर सुनाई दिया।  मालूम करने पता चला कि वे अपनी खुशी का इजहार कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लग रहा था बाबा बरी हो गया है। लेकिन उस वक्त तक कोर्ट ने कोई फैसला नहीं दिया था। दरसअल, यह खबर फैलाना रणनीति का एक हिस्सा था। क्योंकि इसी बीच बाबा को हेलीकॉप्टर से रोहतक जेल विदा करना था। इसी बीच भीड़ में हलचल तेज होती है और बाबा के समर्थक शोर मचाना शुरू कर देते हैं और देखते ही देखते हेफेड चौक जंग के मैदान में बदल जाता हैं। उग्र बाबा समर्थकों ने अपने बीच खड़े मीडिया वाहनों में तोडफ़ोड़ शुरू कर दी,  कई मीडिया कर्मियों को पीटा और कई लाइव ओबी वैनों और कैमरों में आग लगा दी।

इसी बीच लोग कोर्ट वाले रास्ते पर आगे बढऩे लगे जहां अधिकतर मीडिया कर्मी सुरक्षाबलों के पीछे खड़े थे। तब पुलिस ने वाटर कैनन और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल शुरू किया, लेकिन हजारों लोगों की भीड़ पर इसका कोई असर नहीं हुआ। भीड़ एकदम से हिंसा फैलाती हुई कोर्ट की तरफ भागने लगी,  देखते ही देखते पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों में भगदड़ मच गई। उसके बाद बाबा के समर्थकों ने पूरे शहर में तांडव मचा दिया कई वाहन आग के हवाले कर दिए लाखों की सम्पत्ति को जला दिया। पंचकूला हिंसा में सबसे अधिक चौंकाने वाली बात ये थी की राम रहीम के लोगो ने मीडिया कर्मियों के वाहनों को टारगेट किया और तकरीबन 45 वाहन जला डाले थे।

पंचकूला हिंसा के मुख्य कारण और प्रशासन की नाकामी थी। सभी जानते थे बाबा के खिलाफ फैसला आने पर उनके समर्थक बेकाबू हो सकते हैं, जिसको देखते हुए प्रशासन द्वारा पंचकूला में धारा 144 लगाई गई थी। जिसे पूर्ण तरह से अमल में नहीं लाया गया और भारी संख्या में बाबा के समर्थक धारा 144 की परवाह किये बगैर पंचकूला में एकत्र होते रहे। हिंसा वाले दिन पंजाब और हरियाणा पुलिस के बीच तालमेल की कमी साफ देखने को मिली जिससे बाबा के समर्थकों पर काबू पाने में काफी मुश्किलें हुई। सब कुछ जानते हुए भी हरियाणा सरकार ने दंगे रोकने के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई थी। अगर सेना न होती तो काफी और नुकसान हो सकता था। बाबा को सड़क के रास्ते से लाना भी हिंसा होने का एक बड़ा कारण बताया जा रहा हैं। बताया जाता हैं कि बाबा के काफिले में भारी संख्या में गाडिय़ां शामिल थी जो धीरे धीरे कम होती गई पंचकूला के सभी बॉर्डर एरिया को सही ढंग से सील नहीं किया गया था और बाबा के समर्थक पंचकूला में एकत्रित होते जा रहे थे। जाट आंदोलन हिंसा और रामपाल प्रकरण से हरियाणा सरकार ने सबक नहीं लिया।

हरियाणा के डीजीपी बी एस संधू ने 25 अगस्त 2017 को पंचकूला में हुई हिंसा मामले में कहा कि हमने बड़ी बहादुरी और निर्भीकता से दंगा आरोपियों को गिरफ्तार किया है। 177 fir दर्ज की जिनमे से 149 fir के अदालत में चालान पेश किए गए ।जिन पर अदालत में कार्यवाही चल रही है ।जिनमे से 3 केसों को अदालत खारिज कर चुकी है ।

इनके खिलाफ चालान पेश किए गए। जो अभी भी दंगा आरोपी फरार हैं उनको भी जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। बता दें कि इस मामले के मुख्य आरोपी आदित्य इंसा जैसे शातिर अभी पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं। माना जा रहा है कि पुलिस ने बाबा समर्थकों के  खिलाफ कमज़ोर केस दर्ज किए हैं जिस की वजह से कइयों की जमानत हो चुकी है और कई आरोपियों पर से अदालत देशद्रोह की धाराएं हटा चुकी है।

वही इस मामले में जिन पत्रकार संस्थानों और पत्रकारों की गाड़ियां जलाई गई थी व कैमरे तोड़ दिए गए थे या जला दिए गए थे उसके बारे में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि जल्द भरपाई की जाएगी चाहे उसके लिए बाबा की प्रोपर्टी क्यों ना बेचनी पड़े लेकिन ऐसा नहीं हुआ । आज 1एक साल बीत चुका है किसी पत्रकार को कोई मुआवजा नहीं मिला। यहां तक कि पंचकूला की आम जनता का जो नुकसान हुआ था उसे भी पूरे शहर में कोई व मुआवज़ा नहीं मिला।