महंगाई ने तोड़ी वेनेजुएला की कमर, आलू 20 लाख, टमाटर 50 लाख और नॉनवेज थाली 1 करोड़ के पार पहुंची

खबरें अभी तक। एक ऐसा देश भी है जो एस समय महंगाई के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। जी हां, साउथ अमेरिकी देश वेनेजुएला मनाव इतिहास में महंगाई के सबसे खराब दौर में है। यहां एक कॉफ़ी 25 लाख की बिक रही है। एक किलो टमाटर पचास लाख में बिक रहा है। ये कीमतें भले ही चौंकाने वाली हैं, लेकिन बिल्कुल सही हैं।

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आर्थिक संकट के दौर से गुज़र रहे इस देश में एक किलो मीट 95 लाख का बिक रहा है। वहीं, यहां एक किलो आलू की कीमत 20 लाख और एक किलो गाज़र की कीमत 30 लाख तक है। देश में चावल 25 लाख रूपये प्रति किलो और पनीर 75 लाख रूपये प्रति किलो तक बिक रहा है।

अगर इन कीमतों को सुनकर आप ठिठक गए हैं तो ये सुनकर शायद आपको सदमा लग सकता है कि देश में एक नॉन वेज थाली एक करोड़ तक में बिक रही है। लेकिन भारतीय मुद्रा के अनुसार ये कीमतें बदल जाती हैं।

भारत की तुलना में चाहे जो हो, वेनेजुएला में किसी भी चीज़ की कीमत लाखों से कम नहीं है। वहीं, अगर भारतीय रुपए की तुलना में भी हर आइटम की कीमत 1000 रुपए के आस-पास है। आईएमएफ के अनुसार देश पर महंगाई की ऐसी मार पड़ी है कि आने वाले समय में यहां की महंगाई में 10 लाख फीसदी का इजाफा हो सकता है।

देश में पड़ी महंगाई की इस मार की वजह से देश में चलने वाला कौन बनेगा करोड़पति जैसा शो बंद करना पड़ा। आपको बता दें कि ये इस वजह से हुआ है कि देश की करेंसी (बोलिवियानो) में एक करोड़ की कोई कीमत ही नहीं रह गई है।

बेनेजुएला की नेशनल असेंबली के मुताबकि ये कीमतें हर 26 दिन में दोगुनी हो रही हैं। जिसने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। आनन-फानन में देश के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को नई आर्थिक नीति लागू करनी पड़ी। अब देश में पुरानी बोलिवियानो के जगह सॉवरनि बोलिवियानो करेंसी चलेगी।

अब एक लाख बोलिवियानो की कीमत एक सॉवरनि बोलिवियानो होगी। सरकार ने टैक्स बढ़ाने और न्यूनतम मजदूरी में 3000 फीसदी तक बढ़ोतरी करने की तैयारी की है। जानकारों की राय है कि इससे देश में महंगाई और भूखमरी बढ़ेगी।

एक सर्वे में ये जानकारी सामने आई थी कि देश के 90% लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। इनमें से 60% लोग पहले से ही भूखमरी से जूझ रहे हैं। आपको बता दें कि देश की अर्थव्यवस्था की कमर टूटने की सबसे बड़ी वजह है इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत।

देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ (96%) कच्चे तेल का एक्सपोर्ट है। इस संकट से जूझने के लिए देश की सरकार लगातार नए नोट छापती रही। नतीजा ये हुआ कि देश हाइपर इंफ्लेशन का शिकार हो गया। मतलब बाज़ार में नोट तो बढ़े, लेकिन उसके मुकाबले उत्पादन नहीं बढ़ा जिसके वजह से देश में ऐसे हालात हो गए हैं।