केरल बाढ़ : मोदी सरकार के विदेशी सहायता स्वीकार करने से इनकार पर राजनीतिक बहस छिड़ी

खबरें अभी तक। बारिश से हुई भारी तबाही के बाद अब केरल में बाढ़ का पानी कम होने लगा है। जिसके बाद लोग धीरे-धीरे अपने घरों की तरफ लौटने लगे हैं। बर्बाद हो चुके घरों को ठीक करने में जुटे हैं। सूबे के 14 जिलों में करीब 13 लाख लोग राहत शिविरों में शरण लिये हुए हैं। इन लोगों को 3,000 से अधिक राहत शिविरों में रखा गया है। वहीं सूबे में विदेशी सहायता को लेकर राजनीतिक बहस छिड़ गई है। केरल के राजनीतिक दलों के नेताओं ने केंद्र सरकार से प्रदेश में राहत कार्य के लिए विदेशी सहायत स्वीकार करने पर दोबारा विचार करने को कहा है। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि जरूरत पड़ी तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बातचीत करेंगे। आज मुख्यमंत्री राहत शिविरों का दौरा करेंगे।

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केंद्र की मोदी सरकार ने केरल बाढ़ के लिए विदेशी सहायता स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। इस फैसले पर सत्तारूढ़ मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और विपक्षी दल कांग्रेस ने नाराजगी जाहिर की है। पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी ने कहा कि विदेशी दान स्वीकार करने के लिए नियमों में परिवर्तन किया जाना चाहिए।

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केंद्र द्वारा विदेशी मदद स्वीकार करने से मना करने की रिपोर्ट के बाद यह मसला गंभीर हो गया है। क्योंकि पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने ही राष्ट्रीय आपदाओं से निपटने में देश को सक्षम बताते हुए विदेशी सहायता नहीं लेने का फैसला लिया था। और मौजूदा सरकार भी उस रुख पर कायम है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने बाढ़ प्रभावित केरल में राहत कार्य के लिए मंगलवार को 10 करोड़ डॉलर (तकरीबन 700 करोड़ रुपये) की मदद की पेशकश की थी। मालूम हो कि यूएई में केरल के प्रवासी बहुतायत में हैं।