नारनौल में ऐतिहासिक स्मारकों की हालत हुई दयनीय

खबरें अभी तक। नारनौल शहर ऐतिहासिक शहरों में माना जाता है। बीरबल की नगरी कहे जाने वाले इस शहर में 14 ऐतिहासिक स्मारक भी हैं। जो इस शहर को पहचान दिलाते हैं। 14 ऐतिहासिक स्मारकों में से 3 केन्द्र सरकार के अधीन हैं और 11 राज्य सरकार के अधीन हैं। लेकिन अधिकतर स्मारकों की हालत इस समय दयनीय बनी हुई है।

नारनौल कहने को तो ऐतिहासिक स्मारकों का शहर है। हरियाणा सरकार ने भी नारनौल के ऐतिहासिक स्मारकों को लेकर पर्यटक स्थल के रूप में इसे विकसित करने के लिए अनेक बार योजनाएं बनाई। लेकिन फाईलों में ही दफन होकर रह गई। विशेषतौर पर नारनौल में जलमहल, बीरबल का छत्ता और चोर गुम्बद अपने आपमें अनेक गाथाएं समेटे हुए हैं। नारनौल के जलमहल में मानसून के दौरान हुई बरसात से खाली पड़ा तालाब अब भर चुका है। जिसके कारण जलमहल की रौनक तो बढ़ी है। लेकिन यहां आने वाले लोगों के लिए बैठने व पीने के पानी की व्यवस्था न होने के कारण परेशानियां उठानी पड़ती है। लोगों का यह भी कहना है कि अगर प्रशासन इस जलमहल में नांव चला दे तो इसकी सुंदरता और भी बढ़ सकती है।

यहां पर बीरबल का छत्ता और चोर गुम्बद भी सैंकड़ों साल पुरानी इमारतों में से एक है। लेकिन अब इनकी हालत काफी जर्जर हो चुकी है। बीरबल के छत्ते की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि उनकी दीवारें कभी भी मानसून के दौरान गिर सकती है और जान-माल की हानि हो सकती है। बीरबल का छत्ता शहर के बीचों-बीच घनी आबादी में होने के कारण इसका रख-रखाव बहुत जरूरी है। वहीं नेताजी सुभाष चंद बोस पार्क में बनी चोर गुम्बद की इमारत भी सैंकड़ों साल पुरानी हो चुकी है। लोगों की मानें तो इन धरोहरों की देखरेख समय रहते करनी चाहिए और इन्हें पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करना चाहिए। ताकि नारनौल पर्यटक स्थल के रूप में विश्व के मानचित्र पर हो।

कहने को तो नारनौल में 14 ऐतिहासिक स्मारक हैं। जिनमें से जलमहल को छोड़कर बाकी स्मारकों की हालत काफी दयनीय है। लोगों की मानें तो सरकार इन्हें पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करें। ताकि नारनौल का नाम विश्व के मानचित्र पर हो।