अपनी जान को जोखिम में डालकर स्कूल जाने को है मजबूर

ख़बरें अभी तक। भले ही प्रदेश में सरकार बार बार बदली हो पर अगर कुछ नहीं बदला है तो वो है तराई में रहने वाले गांवो के हालात जो हर वर्ष बाढ़ की चपेट में आते है और अपने जीवन के लिए तिल तिल जुझते है इंडिया भले ही डिजिटल हो गया हो पर इन पीड़ितो की समस्या का निदान नहीं है और सरकार के पास है तो केवल वादे और आश्वासन का मरहम जो इन्हें तसल्ली तो देता हैं पर आराम नहीं.

लखीमपुर खीरी के तहसील क्षेत्र निघासन के करीब आधा दर्जन गांव के छात्र अपनी जान को जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर हैं पूरा मामला तहसील क्षेत्र के गांव मांझा ,भैरम पुर ,चौगुरजी,इच्छानगर, तारन कोठी,का है इन गांवों के बच्चे मांझा गांव के नजदीक बह रही नदी को पार कर के सिंगाही राजा प्रताप विक्रम शाह इंटर कॉलेज में पढ़ने के लिये जाते हैं बरसात में नदी का जलस्तर काफी बढ़ जाता है बच्चे नाव पर अपनी साइकिल रखकर अपनी जान को जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर हैं वहीं यहां के जनप्रतिनिधि चुनावी मौसम में इस नदी पर पुल के निर्माण को लेकर जनता को ठगते चले आ रहें पर सत्ता में आने पर कोई हाल लेने वाला नहीं है.