अंबाला: सावन महीने में है कावड़ यात्रा का विशेष महत्व

ख़बरें अभी तक। सावन महीना भगवान् शिव का मास माना जाता है और इस महीने में कावड़ यात्रा का अपना विशेष महत्व है. भारी संख्या में शिव भक्त हरिद्वार और ऋषिकेश से गंगाजल लेकर अपने शहर के शिवलिंग पर जलाभिषेक करके अपनी यात्रा का समापन करने के साथ मन्नत पूरी करते है. सावन में अम्बाला भी रंग बिरंगी कावड़ लेकर नाचते गाते भोले भक्तों से शिवमय हो गया है. इस बार शिव भक्तों में महिलाओं की संख्या कम देखने को मिली वहीं पंजाब के कावड़िये विभिन्न वाहनों सहित पंजाब को नशे मुक्त करने का संकल्प लेकर पैदल कावड़ यात्रा करते भोले बाबा से मन्नत लेकर वापिस आए.

सावन के महीने में शिवभक्त सैकड़ों मील दूर पंजाब, हिमाचल, हरियाणा से पैदल और वाहनों में नाचते-गाते कावड़ लेकर हरिद्वार और ऋषिकेश जाते है. इस बार पंजाब से आने वाले कावड़िये सुरिंदर व महासिंह लम्बी यात्रा के बाद थकान उतरने के लिए अम्बाला शिविर में रुके और उन्होंने मीडिया को बताया कि हर बार वे कावड़ यात्रा में कोई न कोई मन्नत मान कर जाते हैं और भगवान् शिव उनकी मन्नत पूरी करते है.

लेकिन इस बार उन्होंने अपनी यह यात्रा पंजाब के भटिण्डा से इस मन्नत के साथ शुरू की थी कि भोले बाबा पंजाब में फ़ैल रहे सफ़ेद नशे से वहां के युवाओं और ने लोगों को बचाये. सुरिंदर का कहना है कि पंजाब के युवा लम्बे समय से सफ़ेद नशे की लत का शिकार हो रहे हैं और उनकी मान्यता है इस बार भोले बाबा उनकी यह मन्नत पूरी करेंगे और पंजाब से नशे की लत खत्म करेंगे. उन्होंने माना कि शिव भोले केवल भांग पीते थे और भक्ति में लीन रहते थे लेकिन उन्होंने विश्व को बचने के लिए जहर भी पीया था. पंजाब के कावड़ियों का कहना है कि नशा कइयों की जिंदगी ले गया है और इस बार भोले उनकी मन्नत पूरी करेंगे और वे अगली बार फिर कावड़ लेकर आएंगे.