अपनी जान को जोखिम में डालकर करते है रास्ता पूरा

ख़बरें अभी तक। आज़ाद देश में अगर किसी गांव के नौनिहालों को जान जोखिम में डालकर स्कूल जाना पड़े बीमार लोगों को तत्काल अस्पताल न पहुंचाया जा सके. युवतियों की शादी रुकने लगे. वह भी केवल गांव तक जाने का एक बेहतर रास्त्ता न होने के कारण. आज हम आपको ऐसे ही गांव के लोगों की समस्या से रूबरू कराएंगे.

जी हां, हम बात कर रहे है यूपी के अति पिछड़े जिले सिद्धार्थनगर की. यहां उस्का ब्लॉक में आधा दर्जन गांवों के लोगों को ऐसी ही समस्या से जूझना पड़ता है. पूरे साल में कई महीने रेलवे के कानून को तोड़कर अपनी जरूरतों को पूरा करना पड़ता है. स्कूली बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते है. कोई बड़ा वाहन गांव तक नहीं पहुंच सकता है. बीमार लोगों को तत्काल अस्पताल पहुंचाना बहुत कठिन होता है और तो और युवतियों से अन्य गांव के लोग शादी करने से बचते है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसी कौन से बात है जिसने इतनी समस्याओ को जन्म दे दिया है.

तो चलिए आपको हम बताते है, दरअसल इन आधा दर्जन गांवों तक पहुचने के लिए गोरखपर से गोण्डा जाने वाली रेलवे लाइन को पार किये बिना पहुंचना मुश्किल है. हलांकि रेलवे ने ग्रामीणों की समस्या को देखते हुए एक अंडर ब्रिज का निर्माण कराया. लेकिन अधिक गहरे स्थान पर ब्रिज बनाने के कारण थोड़ी सी बारिश से यह लबालब भर जाता है. इस ब्रिज के चारों तरफ खेत ही खेत है. सिचांई के दौरान नहर के पानी से भी यह जाड़े और गर्मी में भी भर जाता है.

मजबूरन इन गांवों में बसे लोगों को रेलवे लाइन को पारकर अपनी जरूरतों को पूरा करना पड़ता है. अपनी समस्या के समाधान के लिए यंहा के निवासी तहसील दिवस में भी फरियाद लगा चुके है. लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के चलते कोई समाधान नहीं निकला. जिससे लगभग 50 हजार लोगों को इन समस्याओं से जूझना पड़ता है. स्कूली बच्चे रेल मंत्री से ओवरब्रिज बनवाने की गुहार लगाते नजर आते है. साथ ही ग्रामीण अपनी समस्या के निदान के दो उपाय भी बताते है.

इन समस्याओं के विषय मे हमने गाव की एक महिला सैफुन्नीशा से बात की. सैफुन्नीशा ने बताया कि गांव तक आने जाने का सही रास्ता न होने से हमारी बेटियों से लोग शादियां नहीं करना चाहते. लोग कहते है कि जिस गाव में चारपहिया न पहुंच पाए ऐसे गांव में शादी नहीं करना. साथ ही रास्ता ठीक न होने से कई बार गिरने की बात भी बताती है. गांव तक बेहतर रास्ते की मांग को लेकर यहां के बाशिन्दों ने रेल मंत्री व प्रशासन से पहले ही गुहार लगा रखी है. अब देखने की बात यह है कि इनकी समस्या के निदान के लिए रेलवे या स्थानीय प्रशासन कोई समाधान कब तक निकलेगा.