देवभूमि के नाम से मशहूर कुल्लू घटी में स्थित बिजली महादेव, शिवलिंग पर गिरती है आकाशिय बिजली

खबरें अभी तक। देवभूमि के नाम से मशहूर कुल्लू घटी में बसते हैं कई देवी देवता। धार्मिक स्थालों के कारण ही मशहूर है कुल्लू। कुल्लू  में 8000 फीट की ऊंचाई पर मथान में स्थित है बिजली महादेव का प्राचीन मंदिर। हर 12 साल पर गिरती है मंदिर के शिवलिग पर आकाशीय बिजली। माखन से जोड़ा जाता है मंदिर का शिवलिग। देश में एकमात्र मक्खन के शिवलिंग है कुल्लू के बिजली महादेव।

देवभूमि कुल्लू में नाम से प्रसिद्ध कुल्लू घटी में यु तो अनेको देवी देवताओं के स्थान है और हर पहाड़ी पर जहां कोई न कोई इष्ट विराजमान है, जिनकी अपनी ही एक मान्यता और विशेष महत्त्व है। लेकिन कुल्लू की खराल घाटी की चोटी पर मथान नाम गांव में बसा है बिजली महादेव का मंदिर। समुद्र तल से 2460 मीटर की ऊंचाई यानि लगभग 7874 फीट की ऊंचाई पर स्थित ये मंदिर में कहा जाता है कि साक्षात् महादेव वास करते है। जालंधर सुर का वध कर महादेव ने यहां अपना स्थान बनाया और कहा जाता है की जलान्ध्रासुर एक पहाड़ी में तब्दील हो गया था। उसकी पहाड़ी पर ये मंदिर है। घटी के लोगों की रक्षा के लिए ही महादेव ने इस ऊंची चोटी पर स्थान लिया और लोगो की रक्षा के लिए शिवलिंग रूप में यहां बस गए। माना जाता है की हर 12 वर्षो में इस शिवलिंग पर आकाशीय बिजली गिरती है। जिससे ये पिंडी खंडित हो जाती है और मक्खन से इस पिंडी को फिर से जोड़ा जाता है।

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मंदिर के पुजारी ने बताया की यहां मान्यता है की जब भी घटी पर कोई संकट आना हो या पाप बढ़ जाए तो इंद्र देव द्वारा इस घाटी पर आकाशीय बिजली गिराई जाती है और महादेव वो स्वयं पर लेकर लोगों की रक्षा करते है। इसी लिए इसे बिजली महदेव कहा जाता है। ऐसा ही वाक्य 2009 में हुआ था। जब पिंडी आकाशीय बिजली गिरने से खंडित हो गयी थी और पुजारियों द्वारा मंत्र पाठ से मक्खन द्वारा इसे जोड़ा जाता है और फिर से बिजली महादेव अपने भगतो की रक्षा में आ जाते हैं।

वहीं इस घाटी में रहने वाले लोगो का माना है की बिजली महदेव के प्रति लोगो की यहां बेहद आस्था है और दूर दूर से श्रद्धालु यहां महादेव के दर्शन पाने आते है। सावन मास में श्रधालुओ का तानता यहां लग जाता है। जिसके चलते इस साल मंदिर कमेटी ने भी यहां पर कई तरह के पुख्ता इंतज़ाम किए है। मंदिर कमेटी के लोगो का कहना है की मंदिर में इस साल सुचारी व्यवस्था बनाये रखने के लिए यहां पुरे इंतज़ाम किए है और श्रधालुओं के अलावा आने वाले शरारती तत्वों पर भी रोक लगाई जा रही है। वहीं उन्होंने बताया की लोगो की बढती संख्या से यहां कूड़े की समस्या भी बढने लगीं है। जिसके लिए वो कड़े प्रयास क्र रहे है ताकि इस खूबसूरत जगह की खूबसूरती को बरकरार रखा जाए। मंदिर में आने वाले स्थानीय युवा और लोगों ने भी चिंता जताई है की पिछले कुछ सालो से बिजली महदेव पहुंचने वालो की संख्या बढ़ी है।

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जिसके साथ ही इस पवित्र स्थान की पवित्रता में भी कूड़े कचरे के ढेर बनते जा रहे हैं। युवाओं का मानना है की मंदिर तक आने वाली सड़क से लोगो का यहां पहुंचना तो आसन कर दिया है, लेकिन यहां प्रदूषण की भी समस्या बढ़ा दी है। साथ ही सवाल उठते है की क्या ऐसे धर्मिक स्थलों को पर्यटन के तौर पर विकसित कर हम इनकी खूबसूरती को तबाह तो नहीं कर रहें हैं ? युवाओं का मन्ना है की जिस प्रकार सावन के महीने में इस स्थान से कूड़े के निपटान के लिए कार्य किये जाते है। यदि 12 महीने प्रशासन और लोगों के सहयोग से इस ओरे ध्यान दिया जाए तो इन खूबसुरत धार्मिक स्थलों को कच्चरे के ढेर में तब्दील होने से बचाया जा सकता है।