दूधेश्वरनाथ मंदिर में सावन के पहले सोमवार पर भक्तों की भारी भीड़

ख़बरें अभी तक। गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर में सावन के पहले सोमवार पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी है. भगवान भोलेनाथ के दर्शन और जलाभिषेक के लिए देर रात से ही मंदिर के बाहर तक कतारें लग गई. बता दें कि गाजियाबाद का दूधेश्वर नाथ मंदिर बहुत प्राचीन मंदिर है और यहां पर प्राचीन काल में रावण ने पूजा अर्चना की थी. मंदिर से एक दूसरी प्राचीन मरने से भी जुड़ी हुई है. माना जाता है कि जो भी भक्ति यहां श्रद्धा भाव से जलाभिषेक करने आता है, भगवान भोलेनाथ उसकी मनोकामना पूर्ण करते है.

गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर में सावन के पहले सोमवार के दिन हजारों भक्तों का सैलाब उमड़ा हुआ है. श्रद्धा का जलाभिषेक करने के लिए भक्त दूर-दूर से आ रहे है. देश के 8 प्रसिद्ध मठों में से एक दूधेश्वर नाथ मठ में स्थित प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर गाजियाबाद के विजयनगर गौशाला के पास स्थित है. प्राचीन काल में इसी मंदिर में रावण ने पूजा अर्चना की थी और अपना दसवां शीष भगवान भोलेनाथ के चरणों में अर्पित कर दिया था. बताया जाता है कि प्राचीन काल में मंदिर वाली जगह पर एक टीला हुआ करता था, जिस पर एक गाय आकर स्वयंभू दूध दिया करती थी. लोगों ने देखा तो उस टीले पर खुदाई करवाई गई और वहां पर भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग प्रकट हुए, तभी से इस जगह को दूधेश्वर नाथ मंदिर के रुप से जाना जाने लगा.

सावन के दिनों में लाखों भक्तों की भीड़ होती है और शिवरात्रि पर लाखों कावड़िया मंदिर में अपनी आस्था का जलाभिषेक करते हैं मंदिर में सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. भक्तों का भी कहना है कि दूर-दूर से आते हैं, और सभी मनोकामना भगवान भोलेनाथ पूरी करते है. सावन के पहले सोमवार को जलाभिषेक की अलग मान्यता मानी जाती है. इसलिए भी भक्तों का जमावड़ा मंदिर में देर रात से लगा हुआ है और जलाभिषेक लगातार किया जा रहा है.