ख़बरें अभी तक। रेवाड़ी: इन्हें ना किसी की फिक्र है और ना ही सरकार का कोई डर। तभी तो खट्टर साहब यहां सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली का जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है और गरीब व जरूरतमंदों को सड़ा-गला गेहूं परोसा जा रहा है।
जी हां, यह हम यूं ही नहीं कह रहे, बल्कि तस्वीरों में आप यह जो नजारा देख रहे हैं, यह कहीं और का नहीं, बल्कि रेवाड़ी जिले के औद्योगिक कस्बा धारूहेड़ा स्थित एफसीआई के उस गोदाम का है, जहां खुले आसमान के नीचे भारी मात्रा में लगा यह गेहूं किस कदर बारिश की बूंदों में न केवल भीग रहा है, बल्कि भीगने के बाद इस अनाज में फफूंद तक लग चुकी है और जिन अधिकारियों के कंधों पर यह जिम्मेदारी है, उन्हें गरीबों की जरा भी परवाह नहीं रह गई है।
तस्वीरों में आप साफ देख सकते हैं कि गाडिय़ों में भरकर डिपो पर सप्लाई की जा रही गेहूं की ये बोरियां किस कदर बारिश में भीगी हुई हैं। इतना ही नहीं, सड़े हुए इस गेहूं के हालात इतने बदत्तर हो चले हैं कि इसे इंसान तो क्या पशु भी मुंह फेरकर चल पड़ेगा। ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिकारियों को गरीबों की कितनी चिंता रह गई है।
डिपो होल्डरों की मानें तो वे मजबूर हैं यह गेहूं उठाने के लिए। ऐसा नहीं है कि विभाग के उच्च अधिकारियों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। बीते सप्ताह डिपो होल्डरों की शिकायत पर स्वयं डीएम ने गोदाम का दौरा कर सही गेहूं देने के निर्देश दिए थे, लेकिन उसके बावजूद कर्मचारियों पर उसका कोई असर नहीं हुआ।
वहीं डिपो होल्डरों का आरोप है कि ठेकेदार भी ओवरलोडिंग के नाम पर उनसे अवैध वसूली करता है और एक रूपया प्रति कट्टा के हिसाब से लिया जाता है और ठेकेदार भी इस बात को मान रहा है कि अगर उनके कारिंदे ने ठंडे के नाम पर कुछ ले लिया तो इसमें क्या गलत है।’
इधर, कर्मचारी हैं कि यह कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं कि यह कोई खराब गेहूं नहीं है। मगर अधिकारी इस मामले पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। उल्टा मीडिया को ही खबर दिखाने पर डराया धमकाया जा रहा है।
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर कार्यवाही करे तो कौन करे। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई अमल में लाता है या फिर गरीबों के साथ हो रहा यह मजाक इसी तरह होता रहेगा।