योगी राज में किसानों का बुरा हाल, किसान की मौत पर शर्मनाक बयानबाजी

ख़बरें अभी तक। केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश की योगी सरकार किसानों को राहत पहुंचाने के लिए भले ही बड़ी बड़ी योजनाओं का एलान कर ले पर जिले के एसी कमरों में बैठे आला अधिकारी किसानों की मौत पर शर्मनाक बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे है. धरातल से कोसो दूर बंद कमरे में बैठे अफसरों को लाचार किसान की मौत औपचारिक लगती है.

मामला बांदा जनपद के चिल्ला थाना अंतर्गत पलरा गांव का है. जहां महेश प्रसाद नाम का किसान खेत गया हुआ था. महेश को खेत पर ही हार्ट अटैक आ गया और उसकी मृत्यु हो गयी. परिजनों ने आनन फानन में पुलिस को सूचना दी पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है. मृतक किसान महेश के ऊपर पिछले पांच साल से दो लाख अस्सी हजार का इलाहबाद बैंक का कर्ज था. इसके अलावा सहकारी समिति का साठ हजार व साहूकारों का कर्ज था.

लेकिन  पिछले तीन सालों से फसल बर्बाद हो जाने की वजह से वह कर्ज नहीं चुका पा रहा था, सरकार की क़र्ज़ माफ़ी योजना का भी लाभ उसे मानक से अधिक भूमि होने के चलते नहीं मिल सका था. साथ ही साहूकारों का भी उस पर भारी दबाव बना हुआ था. उसके बेटे भी बेरोजगार है. जिसके चलते महेश काफी दिनों से तनाव में था और तनाव के चलते महेश को हार्ट अटैक आ गया. परिजनों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से इसी तनाव में मृतक खामोश रहने लगा था और लोगों से बोलना भी बंद कर दिया था.

वहीं किसान की मौत पर जिले के एडीएम गंगा राम गुप्ता ने ये तो स्वीकार किया कि मृतक के ऊपर क़र्ज़ का बोझ था लेकिन क़र्ज़ के तनाव में सदमे से मौत को एडीएम ने खारिज करते हुए मृतक की मौत को सामान्य करार दे दिया. एडीएम साहब ने ये कहने में भी देर नहीं लगाई कि किसान को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं है. किसानों के प्रति खाना पूर्ति का रवैया रखने की अफसरशाही सोच का नतीजा है की किसानों को मौत के बाद भी किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिलती है. जाहिर सी बात है की एसी कमरों में बैठे इन अफसरानों की बयान बाजी सरकार की छवि धूमिल कर रही है.