चौधरी रणबीर सिंह युनिवर्सिटी की नई पहल, मजदूरों के बच्चों को दी जा रही नि:शुल्क शिक्षा

ख़बरें अभी तक। जींद की चौधरी रणबीर सिंह युनिवर्सिटी ने एक नई पहल शुरू की है. युनिवर्सिटी में विभिन्न राज्यों से आए जो मजदूर बिल्डिंग बनाने के दौरान मजदूरी का काम कर रहे है उनके छोटे छोटे बच्चों को यहां एक कमरे में निशुल्क पढ़ाने की व्यवस्था शुरु की गई है साथ इन बच्चों को किताबें व खाना भी नि:शुल्क दिया जा रहा है.

जिन बच्चों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी पढ़ने का मौका मिलेगा. आज वे बच्चें अच्छे से पढ़ रहे है. प्रयास जीन्द की चौधरी रणबीर सिंह युनिवर्सिटी ने किया है. यहां कि वाइंस चांसलर आर.बी.सौलंकी के प्रयासों से युनिवर्सिटी के एक हाल में सुबह 9 बजे से लेकर 1 बजे तक इन गरीब बच्चों की कक्षा लग रही है. इस कक्षा में वे बच्चें आ रहे हैं जिन्हें खाने पीने का हुनर नहीं था. नहाना तक नहीं आता था. कपड़े तक पहनने नहीं आते थे. कभी जिन्दगी में एबीसी नहीं पढ़ा था. आज युनिवर्सिटी के प्रयासों से ये बच्चें नमस्ते की बजाय गुड मोर्निग बोलने लगे है. सिट डाउन कहने से बैठने लगे है.

युनिवर्सिटी के वीसी आर.बी. सौलंकी ने बताया कि उनके कैम्पस में 100 के आसपास लैबर रहती हैं जो विभिन्न्न राज्यों से आई है. उनके बच्चें सारा दिन इधर उधर घुमते रहते थे. हमने सोचा कि हम इन बच्चों के लिए क्या कर सकते है. हमने अपनी सोच को प्रेक्टिकल में बदला और इन बच्चों के लिए क्लासे लगानी शुरू की. इन बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाया जाता है, नि:शुल्क खाना दिया जाता है और इस खर्चे को बांटने में युनिवर्सिटी के टीचर भी आगे आ रहे है.

यहां करीबन 28 बच्चें हैं जो यहां पढ़ने लगे हैं. इन बच्चों की पढ़ाई का टाईम सुबह 9 बजे हैं लेकिन इन बच्चों में पढ़ाई का इतना जुनुन है कि ये बच्चें सुबह 8.30 बजे ही आकर खड़े हो जाते हैं. दोपहर 1 बजे तक इनकी क्लास लगती है. दोपहर में इनको केले इत्यादि खिलाकर इनकी छुटटी कर दी जाती है. पिछले तीन महीने से यह क्लास लग रही है. अब डेढ़ महीने से बच्चों को पढ़ाने का रिजल्ट सामने आने लगा है. जो बच्चें एबीसी भी नहीं जानते थे वे अब फर्राटेदार इंग्लिश में बाते करने लगे है. बच्चें आई एम इन जीन्द, आई एम फ्रोम मध्यप्रदेश, प्राईम मीनिस्टर नेम इज नरेन्द्र मोदी इत्यादि स्टेंस भी बोलने लगे है.

इन बच्चों को पढ़ाने वाली शिक्षिका कहना है कि अब ये बच्चें पढ़ाई के साथ साथ बोलने और पहनने का हुनर भी सीख गए है. इन बच्चों को समाज की विचारधारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. पढ़ने आए बच्चों का कहना है कि वे यहां कई दिनों से पढ़ने आ रहे है. उन्हें यहां पढ़कर बहुत अच्छा लग रहा है. उन्होंने यहां एबीसी सीख ली है. अब वे वन टू थ्री भी बोलने लगे है.