देश की सफ़ाई व्यवस्था की रिपोर्ट स्वच्छता सर्वेक्षण पर उठे सवाल

खबरें अभी तक। देश की सफ़ाई व्यवस्था की रिपोर्ट स्वच्छता सर्वेक्षण के रूप में सामने आई है। देश के 4041 शहरों की सफाई व्यवस्था की नब्ज टटोली गई। जिसमें अम्बाला 159 वीं पायदान पर आया है। पिछले साल के मुकाबले अम्बाला ने 308 वे नम्बर से 149 सीढ़ियों की छलांग लगाते हुए अपनी रैंकिंग में सुधार किया है। अम्बाला की रैंकिंग में सुधार हुआ है या फिर हालात कुछ और ही हैं। इसे जानने के लिए हमारी टीम ने अम्बाला की सफाई व्यवस्था का ज्याजा लिया।

कूड़े का ढेर अम्बाला कैंट की वीआईपी जोन कहे जाने वाले रेस्ट हाउस के ठीक बाहर लगा हुआ है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अम्बाला प्रशासन सफाई के प्रति कितना गम्भीर है। हमारी टीम ने अपने सर्वेक्षण की शुरुआत यहीं से की जहां प्रशासन की लापरवाही की कलई खुल गई। इसके बाद शहर की सफ़ाई व्यवस्था का जायजा लेने के लिए हम शहर के भीतर हो लिए। तस्वीरों में दिखाई दे रहा कूड़े का ये डंपिंग जोन अम्बाला- जगाधरी रोड पर गांधी ग्राउंड में बनाया गया है। इसके आसपास रहने वाले लोग कहते हैं कि जब से ये डंपिंग जोन बना है तब से यहां पर रहना दूभर हो गया है। दिन भर कचरे से बदबू आती है और अक्सर यहां कूड़े में आग भी लगा दी जाती है। जिससे लोगों का दम घुट जाता है। स्थानीय लोगों ने इसे यहां से हटाने की मांग की है। इन लोगों का कहना है कि नालों की सफ़ाई भी ठीक से नहीं होती जिस वजह से पानी बैक मारकर सड़कों से होते हुए लोगों के घरों में मार कर देता है। नालों की गाद सड़क के किनारे ही डाली जा रही है। सफाई के क्षेत्र में अभी बहुत काम किए जाने की जरूरत है।

अम्बाला प्रशासन सर्वेक्षण के आंकड़ों पर भले ही अपनी पीठ थपथपा रहा हो परन्तु विपक्ष इससे इत्तेफाक नहीं रखता। महिला कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता वेणु अग्रवाल ने सर्वेक्षण के तरीके पर सवाल खड़े करते हुए इसे सरकार की अपने द्वारा तैयार की गई अपनी फेक रिपोर्ट करार दिया है। वेणु ने कहा कि रैंकिंग सरकार के हाथ मे है। व्यवस्था सरकार के हाथ मे है। हकीकत कुछ और ही है। चौक चौक पर गंदगी के ढेर लगे हैं। जगह जगह आवारा पशु घूम रहे हैं। सरकार ने ओए अम्बाला अभियान के नाम पर लगभग एक करोड़ रुपए खर्च कर दिए परन्तु हासिल कुछ नहीं हुआ। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा अम्बाला को स्वच्छ बनाने के लिए पटवी में कचरा रिसायकल प्लांट लेकर आईं थीं जिसे मौजूदा सरकार ने कबाड़ और कूड़े के ढेर में तब्दील करके रख दिया है। सर्वेक्षण के आंकड़े असलियत से कोसों दूर हैं।

कुछ लोग मानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के बाद लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता आई है और व्यवस्था में धीरे धीरे सुधार होगा। पूर्व पार्षद कमल किशोर जैन कहते हैं कि भाजपा सरकार को बीमार व्यवस्थाएं विरासत में मिली है। पिछली सरकारों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया बल्कि अपने निजी विकास की ओर ध्यान दिया। इन्हें उम्मीद है कि जल्दी ही पटवी प्लांट शुरू होगा और शहर के बीचों बीच बना डंपिंग जोन भी हट जाएगा। निगम भंग होने के बाद दोबारा से नगर परिषद बनेगी जिसके बाद व्यवस्था में व्यापक सुधार देखने को मिलेंगे।

स्वच्छता सर्वेक्षण में 159 वीं रैंकिंग हासिल करने के बाद अम्बाला का प्रशासन खुशी से फूले नहीं समा रहा। अम्बाला नगर निगम के जॉइंट कमिश्नर गगनदीप सिंह इसके लिए अपनी टीम के साथ साथ अम्बाला की अवाम को भी धन्यवाद दिया है। इनका कहना है कि अम्बाला नगर निगम और मेहनत करेगा और अगले साल के सर्वेक्षण में टॉप 50 शहरों की फेहरिस्त में आने का प्रयास करेगा। पर ये अम्बाला की जनता के सहयोग के बिना सम्भव नहीं इसलिए जनता भी अपने शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने में सहयोग दें।