मात्र ढाई साल की उम्र में नन्ही नव्या ने शतरंज में गाड़े झंडे

ख़बरें अभी तक। जिस उम्र में बच्चे मां-बाप की ऊंगली थामकर ठीक से चलना सीखते है उस उम्र में फरीदाबाद की नन्ही नव्या सूद ने शतरंज के खेल में महारथ हासिल करते हुए हाल ही में जिला शतरंज एसोसिशन की ओर से आयोजित जिला स्तरीय जूनियर शतरंज चैम्पियनशिप में दूसरा स्थान हासिल करके सबको चौंका दिया है. फिलहाल नन्ही खिलाड़ी नव्या की आज की तारीख में उम्र मात्र दो साल नौ महीने है जिसके चलते वह अब देश की सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बन गई है. इस उपलब्धि पर उसका नाम अब इण्डिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज कर लिया गया है.

नव्या की इस उपलब्धि पर उसके अभिवावक फूले नहीं समा रहे है वहीं उसके रिश्तेदार और आस – पड़ोस के लोग भी बच्ची की प्रतिभा को लेकर हैरान है. जिसने मात्र चार-पांच महीने की कोचिंग के बाद इस खेल में ऐसा कीर्तिमान बनाया की उसका नाम इण्डिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो गया. हालांकि नव्या आज मात्र दो साल नौ महीने की है लेकिन शतरंज में उसका ऐसा दिमाग चलता है की बड़े से बड़े भी दांतो तले ऊंगली दबा ले.

जब वह शह और मात के इस माइंड गेम को खेलती है. दरअसल नव्या के पिता संजय सूद पेशे से एक्सपोटर है और नव्या की मम्मी जॉब करती है. वहीं नव्या की 13 साल की बहन संजना इस समय अपनी मां के साथ इटली में शूटिंग की कोचिंग ले रही है. जबकि नन्ही शतरंज खिलाड़ी नव्या अपने पापा के साथ घर में शतरंज खेलकर अपना दिन गुजारती है.

हमारी कैमरा टीम जब फरीदाबाद के ग्रीन वैली स्थित नन्ही खिलाड़ी के घर पहुंची तो नव्या अपने पिता की गोद में बैठकर अपने कोच दिवेन्द्र सूरी के साथ शतरंज खेलती नज़र आयी. नव्या के पापा संजय सूद ने बताया की उनके घर में शाम के समय वह अपनी पत्नी नीतू के साथ अक्सर शतरंज खेलते रहते है लेकिन हमेशा ही नन्ही नव्या उनके खेल को हाथ पैर मारकर बिगाड़ देती थी. लेकिन धीरे-धीरे जब उसे शतरंज के मोहरो का ज्ञान हुआ तो उसने शतरंज खेलने की जिद्द करना शुरू कर दी.

यही नहीं उसने कहा कि जैसे उसकी दीदी को पढ़ाने सर आते है वैसे ही मेरे लिए भी सर का इंतजाम करो. इसके बाद उन्होंने बच्ची की जिद देखते हुए शतरंज के कोच देवेंद्र सिंह सूरी से बात कि तो उन्होंने छोटी बच्ची कहकर उसे कोचिंग देने से इंकार कर दिया. लेकिन जब हमने जिद्द की और कहा कि आप एक बार कोशिश तो करके देखे. इसके बाद कोच देवेंद्र सिंह सूरी उनके घर आए और नव्या को शतरंज के गुर सिखाने शुरू कर दिए. इस कोचिंग के दौरान नव्या ने बहुत जल्दी शतरंज की बारीकियों को सीख लिया और मात्र चार-पांच महीने की कोचिंग के बाद जिला स्तर पर आयोजित जूनियर शतरंज प्रतियोगिता में पहली बारे ही नव्या ने दूसरा स्थान प्राप्त किया और सिल्वर मेडल जीता.

इस उपलब्धि के बाद नव्या देश की सबसे छोटी उम्र की शतरंज खिलाड़ी बन गई. संजय सूद का कहना था कि उसे अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व है और वह चाहते है कि अपनी बढ़ती उम्र के साथ साथ वह आने वाले समय में नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर अपना नाम कमाए. वहीं जब नन्ही शतरंज खिलाड़ी नव्या से बात करने की कोशिश की गई तो वह बात करने के मूड में दिखायी नहीं दी और कैमरे के सामने शर्माती हुई दिखायी दी. वहीं शतरंज के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कोच देवेंद्र सूरी ने बताया की जब नव्या ढाई साल की थी तब संजय सूद का उनके पास फोन आया जिसमे उन्होंने अपनी नन्ही बच्ची को कोचिंग देने की बात कही थी लेकिन बच्ची की छोटी उम्र को देखते हुए पहले उन्होंने मना कर दिया था लेकिन बाद में उनके ज़ोर डालने पर मैं नव्या के घर उसे कोचिंग देने पहुंचा तो मुझे लगा कि यह बच्ची कुछ हटकर है.

इसके बाद मैंने इसे चार-पांच महीने की कोचिंग दी और पहली बार मैंने इसे जिला स्तरीय जूनियर शतरंज चैम्पियनशिप की अंडर 7 केटागरी में हिस्सा दिलवाया. उन्होंने बताया की हालांकि उन्हें कम उम्मीद थी लेकिन इस बच्ची ने ऐसा खेल खेला की उसने दूसरी पोजीशन हासिल करते हुए सिल्वर मैडल जीत लिया जिसकी उन्हें बहुत ख़ुशी हुई. मैं बच्ची का भविष्य बहुत ही उज्वल देख रहा हूं और अब मैं इसे शतरंज का ग्रैंड मास्टर बनाना चाहता हूं.

वहीं नव्या के परिवार के परिचितों में भी उसकी उपलब्धि को लेकर ख़ुशी का माहौल है. परिवार के परिचित हरदीप सिंह का कहना था कि जबसे उन्होंने सुना  और देखा है की नव्या ने कुछ ऐसा कमाल किया है तबसे उनमे बहुत उत्सुकता बनी हुई है क्योंकि हम देख रहे है की मीडिया में उसका नाम आ रहा है और गूगल सर्च में भी नव्या दिखाई दे रही है हम सब उसके उज्वल भविष्य की कामना करते है.