अब कूड़े से बनेगा मिनरल वाटर, बिजली और फ्यूल

खबरें अभी तक। सिंगापुर बेस्ड कम्पनी ‘द ए.जी. डाटर्स’ ने पेशकश की है कि वह जालंधर शहर के कूड़े को मिनरल वाटर, पावर व फ्यूल इत्यादि में बदल सकती है और बदले में नगर निगम को कुछ नहीं देना होगा। इससे जहां शहर कूड़ा मुक्त हो जाएगा वहीं कई अन्य समस्याएं भी खत्म होंगी। गौरतलब है कि स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट के तहत पिछले दिनों बिहार की राजधानी पटना में हुई एक बैठक में भाग लेने गए मेयर जगदीश राजा के साथ कम्पनी प्रतिनिधियों ने पटना में बात की थी। जिसके बाद मेयर ने कम्पनी प्रतिनिधियों को जालंधर आने के लिए आमंत्रित किया था। कम्पनी के एक प्रतिनिधि ने कल जालंधर आकर मेयर जगदीश राजा से मुलाकात की और प्रस्तावित प्रोजैक्ट के बारे में बताया। उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार ने भी इस कम्पनी के साथ कूड़े को खत्म करके उक्त उत्पाद बनाने हेतु एक करार कर रखा है और वहां कुछ ही माह बाद संबंधित प्लांट शुरू होने की उम्मीद है। मेयर जगदीश राजा ने कम्पनी प्रतिनिधि को लिखित में विस्तृत प्रस्ताव भेजने को कहा है ताकि उसे पार्षद हाऊस की बैठक में ले जाकर विस्तार से चर्चा हो सके।

कम्पनी प्रतिनिधि ने बताया कि उनकी कम्पनी जर्मन से संबंधित रॉयल प्रिंस द्वारा संचालित है। सालिड, लिक्विड तथा बायोलोजिकल सोर्स से एकत्रित कूड़ा-कर्कट कम्पनी के प्लांट में मिनरल वाटर, पावर व फ्यूल इत्यादि में बदला जाता है जिसके लिए नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। कम्पनी जीरो कॉस्ट फैक्टर पर कार्य करती है जिसके तहत कोई प्रदूषण नहीं फैलता, कोई पदार्थ बचता नहीं है और निगम को भी कोई पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा। प्लांट में जो भी उत्पाद बनेंगे उन्हें सरकारी मदद से कम दामों पर बेचा जाएगा।

कम्पनी प्रतिनिधि की मानें तो प्लांट चालू होने के बाद आने वाले 25 सालों में जालंधर शहर पावर के मामले में आत्मनिर्भर हो सकता है। गौरतलब है कि जालंधर में इस समय 500 टन कूड़ा और 200 एम.एल.डी. प्रतिदिन गंदा पानी निकलता है। अगर इसे एनर्जी में परिवर्तित किया जाए तो नवीनतम टैक्नालोजी की मदद से प्रतिदिन 280 एम.डब्ल्यू.एच. पावर प्रति घंटा ठोस कूड़े से, 2 हजार एम.डब्ल्यू.एच. पावर प्रति घंटा तरल वेस्ट से तथा 150 एम.एल.डी. मिनरल वाटर, 40 एम.एल.डी. फ्यूल प्रतिदिन तैयार हो सकता है। प्रतिनिधि ने कहा कि प्लांट स्थापित करने के लिए निगम से कोई पैसा नहीं लिया जाएगा। प्लांट पर एक हजार करोड़ रुपए तक का खर्चा आ सकता है परंतु कम्पनी उत्पादों को बेचकर यह पैसा पूरा करेगी। सरकार से सिर्फ प्लांट लगाने के लिए जमीन चाहिए। उन्होंने कहा कि पम्परागत प्लांट हेतु अगर 50 एकड़ जगह चाहिए तो हमारी कम्पनी वैसा ही प्लांट 5 एकड़ में लगा सकती है।