धरती में पड़ी दरारें, कब बरसेंगे मेघा ?

खबरें अभी तक। आसमान से सूर्य देवता आग उगल रहे हैं. धरती में दरारें पड़ गई हैं. तपिश इतनी है कि लोहा पिघल जाये .तालाब या तो सूख गये हैं या सूखने वाले हैं. पक्षी से लेकर जानवर तक प्यास से दम तोड़ रहे हैं. तस्वीरें इतनी भयावह हैं कि आपको दिखा नहीं सकते. ये हकीकत है उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में हमीरपुर की किसानों की हालत का अंदाजा इस फटी जमीन से लगा लीजिए.लगता है ये बरसों से प्यासी और मेघा के बरसने का इंतजार कर रही है.

कड़कती धूप में जानवर थोड़ा खाने और प्यास बुझाने के लिए जंगल में निकलते जरूर हैं.लेकिन हाथ सिर्फ निराशा लगती है और कुछ भूख से टूट जाते हैं तो कुछ प्यास से तड़प-तड़प कर दम तोड़ देते हैं.

इन सबकी समस्या का समाधान इंद्र देव के पास है. अगर वो बरस पड़ें तो काम हो जाये. क्योंकि सरकार से उम्मीद उतनी ही बेमानी है. जितना इस जमीन से सोत खुलने का इंतजार.

हाथ किस्मत के लिखे से मजबूर हैं. वरना लकीरों को मिटाना और नई लकीरें उकेरना किसे नहीं आता.क्योंकि जिन्हें हमारी किस्मत बदलने के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था ने गद्दी पर बिठाया है. वो उदासीन हैं और उनका खून इस जमीन की तरह शुष्क हो चुका है.

उम्मीद का दामन थामकर यहां के लोग रोज रात को आसमान तले सितारों की आगोश में ये सपना लेकर सोते हैं कि जब उठेंगे तो आसमान में बादल छायेंगे. मेघा बरसेंगे खेत में पानी आयेगा तो कुछ दाने पैदा होंगे और पेट भरेगा