भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि कर्नाटक उनके लिए दक्षिण का प्रवेश द्वार होगा। कर्नाटक में उनकी प्रचंड बहुमत की सरकार बनेगी, क्योंकि राज्य में विकास के लिए जनता के समक्ष सिर्फ भाजपा ही विकल्प है। कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह इन दिनों प्रदेश के दौरे पर हैं। अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस उनके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा को जीतने से रोकने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही हैं, जिनमें से एक लिंगायत समुदाय का मुद्दा भी शामिल है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने के सुझाव को सिद्धारमैया सरकार की मंजूरी पर अमित शाह ने कहा, ‘देखिए, यह येदियुरप्पा जी को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने से रोकने की रणनीति है। वे लिंगायत वोटों का धुव्रीकरण चाहते हैं, लेकिन समुदाय इसे लेकर जागरुक है। चुनाव के बाद भाजपा अपना रुख स्पष्ट करेगी। लेकिन आप ये सोचिए कि सिद्धारमैया सरकार ने साढ़े चार साल बाद ही ये मांग क्यों उठाई? लिंगायत समुदाय द्वारा ये मांग पिछले 70 साल से की जा रही है। अगर कांग्रेस इसके पक्ष में है, तो फिर 2013 में जब यूपीए सत्ता में थी, तो लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने की अपील को ठुकरा क्यों दिया गया था? ये सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए उठाया गया मुद्दा है।’