बर्थ सर्टिफिकेट से पिता का नाम हटवाने बीएमसी से भिड़ी महिला

बॉम्बे हाईकोर्ट में गुरुवार को एक महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान बीएमसी ने कहा कि उसके पास किसी बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र से उसके जैविक पिता का नाम हटाने का अधिकार नहीं है। बीएमसी के बर्थ रजिस्ट्रेशन विभाग ने हाईकोर्ट में एक एफिडेविट दाखिल किया है। बीएमसी ने कहा कि उसके पास किसी बच्चे के जैविक पिता के नाम के बगैर जन्म प्रमाण पत्र जारी करने का आधिकार नहीं है। पालघर की रहने वाली 31 वर्षीय एक महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। महिला ने खुद को अविवाहित बताया है और कहा कि उसने अगस्त 2016 में टेस्ट ट्यूब विधि के जरिए एक बच्ची को जन्म दिया है। महिला का दावा है कि इस प्रक्रिया में डॉक्टरों ने डोनर की पहचान गुप्त रखी थी। इसीलिए वो बीएमसी को बच्ची के जैविक पिता का नाम नहीं दे सकती। जिस वजह से महिला ने अपनी बच्ची के जन्म प्रमाणपत्र से उसके जैविक पिता का नाम निकालने की मांग की है।

हालांकि, बीएमसी के दावे महिला के बयान से एकदम उलट है। बीएमसी के वकील सुरेश पकाले ने अदालत में बच्ची का जन्म प्रमाण पत्र और मूल रिकॉर्ड पेश किए। जिसमें अस्पताल की तरफ से बच्ची के बारे में दी गई जानकारी भी शामिल है। रिकॉर्ड के मुताबिक, बच्ची के जन्म के वक्त उसकी मां ने अपना पूरा नाम दिया था और बताया था कि उसने किसी बिजनेसमैन से शादी की है। साथ ही महिला ने अस्पताल के फॉर्म में बच्चे के जैविक पिता का नाम भी लिखा था। हालांकि महिला ने फॉर्म की प्रमाणिकता पर सवाल उठाए हैं जबकि बीएमसी का दावा है कि फॉर्म में महिला के हस्ताक्षर है। पकाले ने हाईकोर्ट को बताया कि एक बार निगम के रिकॉर्ड में एंट्री होने पर उसके पास सिर्फ उस रिकॉर्ड को बदलने का अधिकार है।

गौरतलब है कि बीते साल बीएमसी ने महिला की मांग को खारिज कर दिया था जिसमें उसने जन्म प्रमाण पत्र में पिता के नाम का कॉलम खाली छोड़ने की मांग की थी। महिला ने हाईकोर्ट से निगम को पिता का नाम हटाने और उसकी वैवाहित स्थिति को अविवाहत करने का आदेश देने की मांग की थी।