एसटी-एससी एक्ट में बदलाव के सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को लेकर राष्ट्रपति से समीक्षा की मांग

अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति आयोग का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से बुधवार को मुलाकात कर सर्वोच्च न्यायालय में अत्याचारों की रोकथाम (एससी / एसटी अधिनियम) अधिनियम, 1989 में किए गए परिवर्तनों के बारे में समीक्षा याचिका के लिए अनुरोध किया।

अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 के तहत अपराध में सुप्रीम कोर्ट ने नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि ऐसे मामले में अब पब्लिक सर्वेंट की तत्काल गिरफ्तारी नहीं होगी। इतना ही नहीं गिरफ्तारी से पहले आरोपों की जांच जरूरी है और गिरफ्तारी से पहले जमानत भी दी जा सकती है। न्यायमूर्ति आदर्श गोयल और यू यू ललित की पीठ ने कहा कि कानून के कड़े प्रावधानों के तहत दर्ज केस में सरकारी कर्मचारियों को अग्रिम जमानत देने के लिए कोई बाधा नहीं होगी।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2015 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अत्याचार की रोकथाम के लिए है। इसमें कठोर प्रावधानों को सुनिश्चित किया गया है। यह अधिनियम प्रधान अधिनियम में एक संशोधन है और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) (पीओए) अधिनियम,1989 के साथ संशोधन प्रभावों के साथ लागू किया गया है।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों के साथ दूसरे समुदाय के व्यक्ति से किसी बात को लेकर मामूली कहासुनी पर भी एससीएसटी एक्ट लग जाता था। एक्ट के नियमों के तहत बिना जांच किए अारोपी की तत्काल गिरफ्तारी हो जाती थी। अारोपी को अपनी सफाई अौर बचाव के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था।