कर्नाटक में चप्पे चप्पे पर लड़ाई की तैयारी, शाह जमीन पर जोड़ रहे हैं कुनबा

चुनाव के मुहाने पर खड़े कर्नाटक में कृषि ऋण माफी, महादायी से पेयजल और लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा जैसे मुद्दे भले ही उछाले गए हो, लेकिन यह मानकर चला जा सकता है कि जंग शायद छोटे छोटे समूहों में लड़ी जाएगी। खासकर भाजपा अध्यक्ष अध्यक्ष अमित शाह ने ऐसी ही रणनीति तैयार की है। सोमवार से वह दो दिन की कर्नाटक यात्रा पर हैं और पूरा ध्यान रैलियों की बजाय अलग अलग व्यवसाय व कृषि क्षेत्र के समूहों पर रखा गया है। जाहिर है कि भाजपा क्षेत्रवार और कुछ मायनों में व्यवसाय वार लोगों को संबोधित करने में जुटी है जो विधानसभा चुनाव में मायने रखते हैं।

माना जा रहा है कि अप्रैल के दूसरे सप्ताह में कर्नाटक चुनाव की घोषणा हो जाएगी। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की ओर से पहले कर्नाटक का अलग झंडा और अगले दस दिन के अंदर लिंगायत को अलग धर्म देने जैसा संवेदनशील और राजनीतिक फैसला लेकर अपनी मंशा साफ कर दी है। वह हर पत्ता आजमाने को तैयार हैं। ऐसे में भाजपा के दो शीर्ष नेतृत्व अलग अलग मोर्चो पर पेशबंदी करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां सार्वजनिक रैली के जरिए जनता को संबोधित करेंगे वहीं शाह ने जमीनी स्तर पर कमान संभाल ली है। पार्टी अंदरूनी स्तर पर भी पूरे सामंजस्य के साथ काम करे इसकी चिंता भी होगी और कोई वर्ग यह महसूस न करे कि उनकी न सुनी गई इसका इंतजाम भी होगा। शाह की यात्रा कुछ इसी अंदाज में तय की गई है। इस दो दिन की यात्रा में वह जहां दो मठ जाएंगे और दो धर्मगुरू से मिलेंगे वहीं नारियल और सुपाड़ी उत्पादन करने वाले समूहों से भी अलग अलग बैठक होगी। व्यापारियों के साथ अलग से बैठक रखी गई है।