अन्ना हज़ारे लोकपाल की नियुक्ति और किसानों के मुद्दों को लेकर शुक्रवार से दिल्ली के रामलीला मैदान पर अनशन कर रहे हैं.
अन्ना के इस आंदोलन की तुलना साल 2011 में हुए उनके ही आंदोलन से की जा रही है. तब के मुक़ाबले इस बार भीड़ काफी कम है.
आंदोलन के दूसरे दिन शाम साढ़े पांच बजे रामलीला मैदान का बड़ा हिस्सा खाली था. मैदान पर एक हज़ार से कुछ ही ज़्यादा लोग मौजूद थे.
हालांकि, इस बार भी सात साल पहले की ही तरह माहौल रचने की कोशिश दिखती है. स्टेज पर तिरंगा लहराते लोग दिखते हैं. देशभक्ति के गाने गाए जा रहे हैं. लेकिन भीड़ नहीं है.
जब बीबीसी ने इस बारे में अन्ना हज़ारे से सवाल किया तो उन्होंने कहा, “राजस्थान से, पंजाब से बस आ रही थी, उसे सरकार बीच में रोक रही है. वो आने नहीं दे रहे हैं. किसान बस छोड़कर पैदल आ रहे हैं. सरकार की नीयत साफ नहीं रही”
आंदोलन की कामयाबी की उम्मीद को लेकर पूछे गए सवाल पर अन्ना ने कहा, ” हम कोई भी आंदोलन करते हैं तो अपेक्षा नहीं रखते. इरादा होता है कि काम करते रहो. मैंने 16 बार अनशन किया. अपेक्षा नहीं रखी. सफलता मिलती गई.”
‘अच्छा है केजरीवाल साथ नहीं’
सवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर भी हुआ. साल 2011 के अन्ना आंदोलन में अरविंद केजरीवाल अहम भूमिका में थे. बाद में उन्होंने आम आदमी पार्टी बनाई और फिलहाल उनकी पार्टी दिल्ली में सरकार चला रही है.
अन्ना ने कहा, “अच्छा है कि वो साथ नहीं हैं.”
आंदोलन में जुटे लोगों के लिए किए गए इंतज़ाम के खर्च के बारे में पूछने पर अन्ना ने कहा कि वो पूरी पारदर्शिता में भरोसा करते हैं.
उन्होंने कहा, “कल एक बोर्ड लगेगा. मंडप किसने लगाया. भोजन के लिए किसने खर्च किया. पानी के लिए किसने किया. हमने इतनी पारदर्शिता रखी है कि कोई उंगली नहीं उठा सके. ”
आंदोलन के दौरान अन्ना अनशन पर बैठे साथियों को सिखा भी रहे थे कि वो अपने स्वास्थ्य का कैसे ध्यान रखें.
अन्ना ने कहा, “मैं बोल रहा हूं, करेंगे या मरेंगे लेकिन ऐसी नादान सरकार के लिए क्यों मरना, देश की भलाई के लिए जीना है.”