रहस्यमय Bermuda Triangle: क्यों यहां से कोई भी जहाज वापस लौटकर नहीं आया

ख़बरें अभी तक: इस दुनिया में कई ऐसे रहस्य है जिसे आजतक कोई सुलझा नहीं पाया ऐसा ही एक रहस्य है अमेरिका के दक्षिण पूर्वी तट पर स्थित बरमूडा बरमूडा ट्रायंगल जो सालों बाद भी दुनिया की सबसे रहस्यमय जगहों में से एक है.

अगर इस जगह पर कोई भी जहाज पहुंच जाता है तो वह फिर कभी लौट कर नही आता, इस जगह से आजतक कोई भी पानी का जहाज या प्लेन सुरक्षित नहीं लौटा है. बताते है कि इसमे अब तक 2000 जहाज और 75 एयरक्राफ्ट इस शैतानी ट्रायंगल में समा चुके हैं

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क्या है बरमूडा ट्राएंगल:

बरमूडा ट्राएंगल अमेरिका के फ्लोरिडा, प्यूर्टोरिको और बरमूडा तीनों को जोड़ने वाला एक ट्रायंगल यानी त्रिकोण है. इस जगह पर कोई भी जहाज अगर गलती से पहुंच गया है तो जहाज अपने सामान और यात्रियों सहित कहां गायब हो गया यह किसी को भी आज तक पता नहीं चल सका है

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अमेरिका का बमवर्षक हो गया गायब :

बीते सैकड़ों सालों में यहां हजारों लोगों की जान गई है। एक आंकड़े में यह तथ्य सामने आया है कि यहां हर साल औसतन 4 हवाई जहाज और 20 समुद्री जहाज़ रहस्यमय तरीके से गायब होते हैं। 1945 में अमेरिका के पांच टारपीडो बमवर्षक विमानों के दस्ते ने 14 लोगों के साथ फोर्ट लोडरडेल से इस त्रिकोणीय क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भरी थी। यात्रा के लगभग 90 मिनट बाद रेडियो ऑपरेटरों को सिग्नल मिला कि कम्पास काम नहीं कर रहा है। उसके तुरंत बाद संपर्क टूट गया और उन विमानों में मौजूद लोग कभी वापस नहीं लौटे। 

कोलंबस ने सबसे पहले इसे देखा :

बरमूडा ट्राएंगल के बारे में सबसे पहले सूचना देने वाले क्रिस्टोफर कोलंबस ही थे। कोलंबस ही वह पहले शख्स थे जिनका सामना बरमूडा ट्रायएंगल से हुआ था। उन्होंने अपने लेखों में इस त्रिकोण में होने वाली गतिविधियों का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि जैसे ही वह बरमूडा त्रिकोण के पास पहुंचे, उनके कम्पास (दिशा बताने वाला यंत्र) ने काम करना बंद कर दिया। इसके बाद क्रिस्टोफर कोलंबस को आसमान में एक रहस्यमयी आग का गोला दिखाई दिया, जो सीधा जाकर समुद्र में गिर गया।

अटलांटिक महासागर के इस भाग में जहाजों और वायुयानों के गायब होने की जो घटनाएं अब तक हुई हैं उनमें पाया गया है कि जब भी कोई जहाज़ या वायुयान यहां पहुंचता है, उसके राडार, रेडियो वायरलेस और कम्पास जैसे यंत्र या तो ठीक से काम नहीं करते या फिर धीरे-धीरे काम करना ही बन्द कर देते हैं। जिस से इन जहाजों और वायुयानों का शेष विश्व से संपर्क टूट जाता है। उनके अपने दिशासूचक यंत्र भी खराब हो जाते हैं। इस प्रकार ये अपना मार्ग भटककर या तो किसी दुघर्टना का शिकार हो जाते हैं 

कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में भौतिकी के कुछ नियम बदल जाते हैं, जिस कारण ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं। तो कुछ लोग इसे किसी पारलौकिक ताकत करामात मानते है। इस पर कई किताबें और लेख लिखे जाने के साथ ही फिल्में भी बन चुकी हैं। तमाम तरह के शोध भी हुए लेकिन तमाम शोध और जांच-पड़ताल के बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका.