क्यों खास है Srinagar का Lal Chowk? जानिए क्या है इसकी राजनीतिक अहमियत

ख़बरें अभी तक: राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस (Congress) की भारत जोड़ो यात्रा श्रीनगर के लाल चौक (Lal Chowk) में पहुंच गई। कश्मीर और भारतीय राजनीति में लाल चौक (Lal Chowk) की अपनी अहमियत है। लाल चौक (Lal Chowk) को श्रीनगर की शान कहा जाता है। प्रदेश और देश की प्रमुख पार्टियों मसलन कांग्रेस पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस और बीजेपी आदि के राजनीतिक मिशन के लिए लाल चौक (Lal Chowk) खास महत्व रखता रहा है। साल 1993 में यहां भयानक अग्निकांड हुआ था, जिसमें 125 कश्मीरी लोगों की मौत हो गई थी।

क्या है लाल चौक का इतिहास?

श्रीनगर के लाल चौक (Lal Chowk) का नाम मॉस्को के रेड स्क्वॉयर पर रखा गया था। सन् 1980 में यहां क्लॉक टावर का निर्माण किया गया था, जिसे घंटा घर कहा जाता है। इसका नाम लाल चौक रखने में वामदल के नेताओं का अहम योगदान था। बाद में लाल चौक (Lal Chowk) क्रांति और परिवर्तन का प्रतीक बन गया। फिलहाल जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाये जाने के बाद राज्य में अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती की गई है।

इतिहास के पन्ने को पलट कर देखें तो देश आजाद होने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने सन् 1948 में लाल चौक (Lal Chowk) पर तिरंगा फहराया था। उनके साथ तब की जम्मू-कश्मीर रियासत के प्रमुख शेख अब्दुल्ला भी थे। पं. नेहरू ने लाल चौक पर ही शेख अब्दुल्ला के साथ मिलकर पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में विजय की घोषणा की थी। इसी दौरान पं. नेहरू ने जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की बात कही थी। जो कभी संभव नहीं हो सका।

लाल चौक (Lal Chowk) का इतिहास बताता है जब भी राष्ट्रीय पर्व का मौका आता है, यहां आतंकी हमले का अलर्ट बढ़ जाता है। सुरक्षा कड़ी कर दी जाती है। खतरे को देखते हुए लाल चौक पर तिरंगा फहराना आसान नहीं होता। लेकिन 26 जनवरी 1992 को मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई में यहां तिरंगा फहराया गया।