बच्चों के दिलों के छेद का उपचार कर जिंदगी प्रदान कर रहा स्वास्थ्य विभाग

खबरें अभी तक। भारत सरकार का स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय आमजन के लिए एक संजीवनी साबित हो रहा हैं। वर्ष 2019-2020 में जींद के स्वास्थ्य विभाग ने दिल में छेद हुए 49 बच्चों के 48 लाख से अधिक की राशि खर्च करके उनको नई जिंदगियां प्रदान कि है। हालांकि इस कार्य के लिए परिजनों को निशुल्क उपचार मुहैया करवाया जा रहा है, क्योंकि ऑप्रेशन पर आने वाला खर्च स्वास्थ्य विभाग सीधे संबधित सरकार द्वारा निर्धारित अस्पताल के खाते में ही डाल देता है। अगर किसी भी बच्चे को दिल में जन्म से ही छेद है या फिर आखों में टेढापन है, या कटा हुआ तलवा है उनको स्वास्थ्य विभाग कि टिम चिन्हीत कर रही है या फिर परिजन स्वयम भी जिला मुख्यालय के नागरिक अस्पताल में संर्पक कर निशुल्क उपचार ले सकते है।

सिविल सर्जन जींद डाक्टर जयभगवान जाटान ने बताया कि हमारी टिम पुरे जिला में कार्यरत है। उन्होंने कहा कि आगंनवाड़ी से लेकर राजकिय विद्यालयों में टिम लगातार अभियान चलाए हुए है और प्रत्येक बच्चें की जांच कि जा रही है। उन्होंने कहा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिले में यह अभियान चलाया हुआ है और किसी भी बिमारी ग्रसित बच्चें को चिन्हीत कर उपचार करवाया जा रहा है।

उप सिविल सर्जन एंव इस अभियान के नोडल अधिकारी डाक्टर रमेश पांचाल ने  बताया कि भारत सरकार कि यह योजना गरीब से गरीब व्यक्ति के लिए वरदान साबित हो रही है, क्योंकि इन बीमारियों से ग्रसित बच्चों के परिजनों से किसी भी प्रकार शुल्क नहीं लिया जाता है। उन्होंने बताया कि हमारी जिला में 12 मोबाइल टिमें बच्चों कि स्क्रीनिंग के लिए कार्यरत है जिसमें एक पुरूष चिकित्सक एंव एक महिला चिकित्सक एंव एक एनएम शामिल होते हैं। उन्होंने बताया कि जन्म से 6वर्ष तक आंगनवाड़ी में जाने वाले प्रत्येक बच्चे का और 6 से 18 वर्ष राजकिय स्कूल में जाने वाले इन बिमारियों से ग्रसित बच्चों का निशुल्क उपचार करवाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि बच्चे के दिल के ऑप्रेसन पर ढेड से 2 लाख के करीब और कटे हुए तलवे के उपचार पर 60 से 70 हजार तक खर्च आ जाता है लेकिन परिजनों से किसी प्रकार शुल्क नहीं लिया जाता है, इसकी सारी भरपाई केंद्र सरकार का स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय वहन करता है। उन्होंने बताया कि ये योजना उन गरीब आमजन के लिए मददगार साबित हो रही है जिनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं और आर्थिक हालात भी कमजोर हैं। ऐसे बच्चे जिला मुख्यालय पर स्थित नागरिक अस्पताल के डीईआईसी केंद्र अथवा नजदिकी स्वास्थ्य केंद्रों पर भी संर्पक कर इलाज ले सकतें हैं।