जानिए कैसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है ‘होली’ का त्योहार

ख़बरें अभी तक। क्या आप जानते है भारत के अन्य त्योहारों की तरह होली भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। जी हाँ  आज हम आपको इसी के बारें में जानकारी देंगे कि कैसे होली का त्योहार भी बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। तो चलिए शुरुआत करते है………

जैसा कि आप जानते ही है होलिका बुराई और भक्त प्रह्लाद अच्छाई का प्रतीक है। होलिका हिरण्यकश्यप की बहन थी उसे अग्नि से बचने का वरदान मिला था। होलिका को वरदान में एक ऐसी चादर मिली हुई थी जो आग में नहीं जलती थी। हिरण्यकश्यप जोकि प्रह्लाद का पिता था उसने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर प्रहलाद को मारने की योजना बनाई।

प्रह्लाद जोकि भगवान विष्णु का परम भक्त था और उस पर भगवान विष्णु की अति कृपा-दृष्टि थी। भगवान विष्णु के प्रति प्रह्लाद की इस आस्था और भक्ति को देखकर हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को आदेश दिया कि वह उसके अतिरिक्त किसी अन्य की स्तुति न करें। लेकिन प्रह्लाद ने हिरण्यकश्यप की बात नहीं मानी जिसके चलते उसने अपनी बहन के साथ यह योजना बनाई थी।

फिर एक दिन होलिका बालक प्रहलाद को गोद में उठाकर जलाकर मारने के उद्देश्य से वरदान वाली चादर ओढ़ धूं-धू करती आग में जा बैठी। लेकिन विष्णु की कृपा से होलिका वह चादर वायु के वेग से उड़कर बालक प्रह्लाद पर जा पड़ी, होलिका के पास चादर न होने पर वह वहीं जल कर भस्म हो गई। इस प्रकार प्रह्लाद को मारने के प्रयास में होलिका की मृत्यु हो गई और एक बार फिर बुराई पर अच्छाई की जीत हुई।