अपने हौसलें से तकदीर को बदल दूँ, सुन ले दुनिया, हाँ मैं औरत हूँ

ख़बरें अभी तक। International Women’s Day 2020: नारी प्रीत में राधा बने, गृहस्ती में जानकी, काली बनकर शीश काटे, जब बात हो सम्मान की… हिंदुस्तानी महिलाओं ने किसी भी क्षेत्र में खुद को सफल और अपनी पहचान बनाने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया है। लेकिन इसके बाद भी कई भारतीय महिलाओं ने ना सिर्फ खुद सफलता प्राप्त की बल्कि देश में अन्य महिलाओं के लिए भी एक प्रेरणा बनी। आइए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर जानते है ऐसी ही कुछ भारतीय महिलाओं के बारे में जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सशक्त पहचान रखती हैं।

1.इंदिरा गांधी:  इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में एक संपन्न परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम था- ‘इंदिरा प्रियदर्शिनी’। उन्हें एक घरेलू नाम भी मिला था जो इंदिरा का संक्षिप्त रूप ‘इंदु’ था। उनके पिता का नाम जवाहरलाल नेहरू और दादा का नाम मोतीलाल नेहरू था।

इंदिरा गांधी भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थीं। इंदिरा गांधी ने भारतीय राजनीति पर ना केवल अपनी छाप छोड़ी बल्कि वह विश्व राजनीति पर भी काफी प्रभावशाली रहीं। इंदिरा गांधी ने मात्र 12 साल की उम्र में देश की सेवा शुरू कर दी थी। इंदिरा गांधी को ‘लौह-महिला’ के नाम से भी जाना जाता है।

2.मीरा कुमार: मीरा कुमार भारत के प्रख्यात दलित नेता बाबू जगजीवन राम की पुत्री हैं। मीरा कुमार पहली महिला लोकसभा स्पीकर हैं। 2009 में, वे भारत की प्रथम महिला लोक सभा स्पीकर बनीं। इस पद पर वे 2014 तक रहीं। मीरा कुमार साल 2017 में यूपीए की तरफ से राष्ट्रपति उम्मीदवार थीं। इस चुनाव में उनको 3,67,314 वोट मिले थे लेकिन फिर भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से हार गईं थी। मीरा कुमार एक कुशल खिलाड़ी भी रही हैं। घुड़सवारी और निशानेबाजी की प्रतिस्पर्धाओं में उन्होंने कई पदक जीते हैं।

3.प्रतिभा पाटिल: प्रतिभा पाटिल देश की पहली महिला राष्ट्रपति हैं। इनका कार्यकाल जुलाई 2007 से 2012 तक रहा। 1 जून 2019 को प्रतिभा पाटिल को विदेशियों को दिए जाने वाले मेक्सिको के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘ऑर्डेन मेक्सिकाना डेल एग्वेला एज्टेका’ (ऑर्डर ऑफ एज्टेक ईगल) से सम्मानित किया गया था।

4.किरण बेदी: किरण बेदी देश की पहली महिला आईपीएस ऑफिसर हैं। इतना ही नहीं किरण बेदी वो पहली महिला थीं जिन्हें 2003 में यूनाइटेड नेशन्स सिविल पुलिस एडवाइजर के तौर पर चुना गया। किरण बेदी ने विभिन्न पदों पर कार्य किया है। वे संयुक्त आयुक्त पुलिस प्रशिक्षण तथा दिल्ली पुलिस स्पेशल आयुक्त (खुफिया) के पद पर कार्य कर चुकी हैं।

5.कल्पना चावला: कल्पना चावला एक भारतीय अमरीकी अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी और अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी। 1977 कल्पना बतौर मिशन स्पेशलिस्ट और प्राइमरी रोबॉटिक आर्म ऑपरेटर के तौर पर स्पेस गई थीं।

6.आनंदीबाई गोपालराव जोशी: आनंदीबाई जोशी (31 मार्च 1865-26 फ़रवरी 1887) पहली भारतीय महिला थीं,  जिन्‍होंने डॉक्‍टरी की डिग्री ली थी। उनका जन्म पुणे शहर में हुआ था। जिस दौर में महिलाओं की शिक्षा भी दूभर थी, ऐसे में विदेश जाकर उन्होंने डॉक्‍टरी की डिग्री हासिल की थी। आनंदीबाई जोशी का व्‍यक्तित्‍व महिलाओं के लिए प्रेरणास्‍त्रोत है।

7.अरुणिमा सिन्हा: अरुणिमा सिन्हा माउंट एवरेस्ट पर फतह पाने वाली पहली भारतीय महिला हैं। अरुणिमा एक नेशनल लेवल की बॉलीवॉल प्लेयर भी हैं। 12 अप्रैल 2011 को लखनऊ से दिल्ली जाते समय अरुणिमा के साथ एक हादसा हुआ था जिसमें वो अपने पैर गंवा बैठीं थीं।

8.रीता फारिया पॉवेल: मुंबई में 1945 में जन्मी रीता पहली भारतीय और एशियाई मूल की महिला हैं। जिन्होंने 1966 में मिस वर्ल्ड का टाइटिल जीता। एक साल मॉ‌डलिंग की ऊंचाइयों को छूने के बाद रीता ने डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की और इस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाया। इन्होंने चिकित्सा शास्त्र में विशेषज्ञता हासिल की है।

9.मिताली राज: मिताली राज महिला एक दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट में 6,000 रनों को पार करने वाली एकमात्र महिला क्रिकेटर हैं। मिताली राज भारत की पहली ऐसी महिला खिलाड़ी है जिन्होंने टी20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 2 हजार या इससे ज्यादा रन बनाये। मिताली राज ने टेस्ट मैच में डबल 100 सेंचुरी मारी है। 2014 में वेलिंगटन में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले जा रहे हैं टेस्ट मैच में मिताली में 214 रन बनाए थे। और ऐसा करने वाली वो पहली महिला भारतीय क्रिकेटर थीं।

10.मदर टेरेसा: मदर टेरेसा जिन्हें रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाज़ा गया था। और मदर टेरेसा पहली भारतीय महिला थीं जिन्हें नोबेल प्राइज दिया गया था। टेरेसा को सन् 1949 में इस सम्मान से नवाजा गया था। मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने 1948 में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी। इन्होंने 1950 में कोलकाता में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की स्थापना की।