रिमांड के दौरान खूंखार गैंगस्टर राजू बसोदी ने खोली अपनी गुनाहों की पोल

खबरें अभी तक। जैसे जैसे दिल्ली एनसीआर में आतंक का दूसरा नाम बन चुके बदमाश राजू बसोदी की रिमांड अवधि पूरी होती जा रही है वैसे वैसे राजू बसोदी एसटीएफ हरियाणा के सामने अपने गुनाहों का काला चिट्ठा खोल रहा है, इस खास रिपोर्ट में देखिए कि कैसे राजू बसोदी एक खूंखार गैंगस्टर बना।

राजकुमार उर्फ राजू राजू बसोदी ने नाबालिग उम्र में ही 2004 में दिल्ली में पहली लूट की वारदात को अंजाम दिया था, उसके बाद उसने 2010 में पहली हत्या अपने ही पारिवारिक रंजिश के चलते गांव में की, उसके बाद राजू ने क्राइम की दुनिया मे बेताज़ बादशाह बनने की राह पकड़ी और एक के एक बाद 19 हत्याकांडो को अंजाम दिया और कई हत्याकांडों की साज़िश रची. पहले राजू बसोदी ने अपने ही इलाके में बड़े बड़े व्यापारियों से फिरौती मांगी और बड़ी लूट की वारदातों को अंजाम दिया।

इसके बाद धीरे धीरे राजू बसोदी हरियाणा के बड़े बड़े गैंगस्टर के सम्पर्क में आया और इसने अनिल छिप्पी , संदीप काला जठेड़ी, नरेश सेठी जैसे गैंगस्टर के साथ काम किया और इनका सबसे बड़ा कांड 2012 में रोहतक के कारोर गांव के छह भाइयों की हत्याकांड था. इसने 2012 में झज्जर जेल के बाहर अनिल छिप्पी गैंग के गैंगस्टर के कहने पर तीन हत्याओं को एक साथ पुलिस कस्टडी में अंजाम दिया था, इसमें 400 के करीब राउंड फायरिंग हुई ।

2017 में राजू बसोदी 2012 झज्जर जेल के बाहर हत्याकांड के बाद जेल से बाहर आया और एक के बाद कई हत्याकांडो को अंजाम दे डाला, फरारी के दौरान उसने जाली पासपोर्ट भी बनाया और विदेशी धरती पर पुलिस से बचने के लिए भाग गया. राजू बसोदी उन देशों में पनाहा ले चुका है जहां का वीजा वहां जाने के बाद मिलता है. राजू बसोदी विदेशों में जाने के बाद भी क्राइम की साज़िश करने से नहीं रुका और कई हत्याकांड को वहीं से रचा।

राजू बसोदी गैंग को चलाने के लिए लगातार बड़े बड़े व्यापारियों से फिरौती मांगता था, लेकिन सोनीपत के यमुना नदी के क्षेत्र में सरकार ने करोड़ों रूपये की लागत से खनन के ठेके छोड़ रखे है, जिनमें बदमाशी के दम पर राजू बसोदी बिना कोई खर्च किए 10 प्रतिशत हिस्सा लेता था, और जिनके ऊपर कोई केस दर्ज नहीं है वो गुर्गे वहां का हिसाब किताब रखते है।