Movie review :समाज में छोटी सोच बदलने का उदाहरण है अक्षय की फिल्म पैडमैन

खबरें अभी तक। बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार फिल्म ‘टॉयलेट एक प्रेमकथा’ के बाद अब फिल्म ‘पैडमैन’ के जरिए 9 फरवरी को सिनेमाघरों में आ रहे हैं। अक्षय अब तक कई ऐसी फिल्में बना चुके हैं जो देशभक्ति या फिर समाज को एक संवेदनशील संदेश देती नजर आती है। इस बार भी अक्षय अपनी फिल्म के जरिए समाज को एक बड़ा संदेश देते दिख रहे हैं। फिल्म में अक्षय के अलावा राधिका आप्टे और सोनम कपूर भी हैं। अक्षय फिल्म में एक ऐसे व्यक्ति का किरदार निभा रहे हैं जो महिलाओं के पीरियड्स के दौरान उनकी मुश्किलों को समझने की कोशिश करता है। वहीं वह महिलाओं की इन मुश्किलों का हल भी ढूंढ निकालता है।

फिल्म ‘पैडमैन’ माहवारी के दिनों में महिलाओं को स्वच्छ रहने का संदेश देती है। पिछड़े या ग्रामीण इलाकों में महिलाएं आज भी सैनिटरी पैड का इस्तेमाल नहीं करती हैं। महिलाओं के लिए सैनिटरी पैड क्या मायने रखता है। महिलाओं को सैनिटरी पैड की क्या जरूरत है फिल्म इस बारे में जागरूक करती है। यह फिल्म अरुणाचलम मुरुगनथम के जीवन पर आधारित है। इन्होंने महिलाओं की सैनिटरी पैड की मुश्किल को हल करने के लिए पैड बनाने वाली मशीन का आविष्कार किया था। अक्षय फिल्म में यह महत्वपूर्ण किरदार निभा रहे हैं।

फिल्म में दिखाया जाता है कि ग्रामीण जीवन में शर्म और लाज का घूंघट ओढ़े महिलाओं का जीवन कैसा है। उस घूंघट के पीछे छिपी महिलाओं की गंभीर परेशानियां क्या हैं और ये पैडमैन उन परेशानियों को दूर करने के लिए न सिर्फ कड़ी मेहनत करता है बल्कि समाज की छोटी सोच से भी लड़ता है। पैडमैन अपने घर की लक्ष्मी (पत्नी) को ही इस परेशानी से जूझते हुए देखता है और उसकी मुश्किलों को खत्म करने के मिशन पर निकल पड़ता है। इतना ही नहीं इस दौरान उसके सामने कई रुकावटें आती हैं लेकिन पैडमैन हार नहीं मानता। इस दौरान उसके बुलंद इरादे उसे विदेश के सेमिनार तक ले जाते हैं जहां वह अपने आइडियाज शेयर करता है। इसके ठीक उलट पैडमैन को अपने गांव अपने परिवार और समाज के विरुद्ध भी खड़ा होना पड़ता है। आर बाल्कि द्वारा निर्देशित इस फिल्म में राधिका आप्टे पैडमैन की पत्नी का किरदार निभा रही हैं। वहीं पैडमैन के इस मिशन में उनकी सहायता करने में सोनम कपूर उनका साथ देती हैं। सोनम फिल्म में एक सोशल एक्टिविस्ट की भूमिका में हैं।