अमेरिका और ईरान के बीच जारी तकरार में फंसे भारतीय व्यापारी

ख़बरें अभी तक। अमेरिका और ईरान के बीच जारी तकरार का भारतीय उद्योगों खासकर चावल उद्योग पर असर पड़ सकता है। हालात को देखते चावल व्यापारियों ने खाड़ी के देशों विशेषकर ईरान, ईराक में चावल नहीं भेजने के निर्णय के बाद राईस मिलर्स ने भी इस पर चिंता व्यक्त की है। मिलर्स का मानना है की अगर चावल का निर्यात रुक जाता है, तो इससे मिलर्स के साथ साथ लेबर व किसानो को भी आने वाले समय में इसका नुक्सान होगा।

रादौर में एक मिलर्स प्रवीन गुप्ता ने बताया की यदि अमेरिका और ईरान का झगड़ा जारी रहेगा तो पूरे उद्योग पर फर्क पड़ेगा। यह फर्क केवल व्यापारी पर ही नहीं बल्कि किसान पर भी पड़ने वाला है। इसके साथ ही लेबर और ट्रांसपोर्टरों पर भी इसका असर पड़ेगा और कइयों के रोजगार पर भी तलवार लटकने की आशंका है।

उन्होंने कहा कि इस हालात से निपटने के लिए सरकार को चावल निर्यातकों के लिए कुछ रियायतों की घोषणा करनी चाहिये ताकि उन्हें राहत मिल सके। उन्होंने कहा जिस प्रकार थाइलैंड में चावल भेजने पर एडवांस पेमेंट होती है उसी प्रकार खाड़ी देशों से भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा की इन देशों में 44 लाख टन बासमती चावल निर्यात होता है। इसमें से 75 प्रतिशत केवल ईरान में जाता है। इसलिए यह स्वाभाविक है कि अमेरिका और ईरान के झगड़े से भारत विशेषकर हरियाणा-पंजाब के बासमती चावल के निर्यात पर फर्क पड़ेगा। उन्होंने कहा की चावल की कीमत घटने के आसार हैं और भारत में अभी से 200-300 रुपये प्रति क्विंटल का अंतर भी पड़ गया है।